
मुकेश कुमार झा
समय का चक्र ऐसा चलता है कि आपके लाख कोशिश करने के बावजूद भी वह नहीं मिल पाता है जो आप चाहते हैं। शायद इस चक्र को ही भाग्य की नियति मान लिया जाता है। यह अवधारणा कर्मवाद के सिद्धांत से काफी अलग होता है, इसलिए तुलसीदास जी ने रामायण में कहा कि ' होई है सोई जो राम रचि राखाÓ। कहीं न कहीं यह कथन भाग्यवादी होने का सबूत देता है। लेकिन कहते हैं न---यदि हर इंसान को अपनी सोच और समझ के हिसाब से सब कुछ मिल जाय तो फिर दुनिया-दारी का...