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मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

पावर ऑफ एटॉर्नी


संपत्ति के अधिकार को सत्यापित  करने के लिए पावर ऑफ एटॉर्नी की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस अधिकार से व्यक्ति को न्यायिक  और व्यावसायिक रूप से संपत्ति का निर्णय लेने का हक मिल जाता है। 

पावर ऑफ एटॉर्नी का नाम आपने अक्सर सुना होगा, यह आपको स्वामित्व का अधिकार प्रदान करता है। इसे  सामान्य रूप से लेटर ऑफ एटॉर्नी भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का ऐसा  न्यायिकअधिकार पत्र है, जो किसी व्यक्ति के बदले में न्यायिक या व्यावसायिक निर्णय लेने के लिए अधिकृत करता है। जो व्यक्ति किसी दूसरे को इसके के माध्यम से अधिकृत करता है, उसे प्रिंसिपल या ग्रांटर कहा जाता है और जिसे अधिकृत किया गया है, उस व्यक्ति को एजेंट या एटॉर्नी कहा जाता है। इस पावर ऑफ एटॉर्नी के तहत अधिकृत व्यक्ति ग्रांटर की जगह पर स्वतंत्र निर्णय ले सकता है, इसलिए सैद्धान्तिक रूप में एजेंट या एटॉर्नी से किसी भी प्रकार की डीलिंग में ईमानदार व प्रतिबद्ध होने की अपेक्षा की जाती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि जब कभी प्रिंसिपल की जगह काम करने या डीलिंग के एवज में एटॉर्नी को भुगतान किया जाता है, तो इसका  पेपर दोनों ही पक्षों के नाम से तैयार होता है, जो दोनों पार्टियों के बीच गुप्त रहता है। पावर ऑफ एटॉर्नी के मामले में समझौते का प्रपत्र कई लोगों को दिखाया जा सकता है।


इस प्रपत्र को किसी गुप्त डाक्यूमेंट के समान व्यवहार नहीं किया जाता। जैसे- किसी को अपनी एक प्रॉपर्टी बेचनी है। वह किसी कारणवश से प्रॉपर्टी में रुचि लेने वालों से सीधा संपर्क नहीं बना पा रहा है, तो ऐसी स्थिति में वह अपने किसी खास व्यक्ति को उस प्रॉपर्टी को बेचने का अधिकार पावर ऑफ एटॉर्नी के रूप में एक लिखित समझौते के तहत दे देता है। जैसा समझौता होता है, वैसी डीलिंग उनके बीच ईमानदारी से होती है। प्राईवेट पार्टियों, व्यवसायियों के अलावा अस्पताल, बैंक समेत कई संस्थानों के विभिन्न कार्यकलापों के लिए पावर ऑफ एटॉर्नी का प्रयोग होता है। लॉ के अनुसार प्रिंसिपल या ग्रांटर की अक्षमता या मृत्यु की स्थिति में यह अपने आप रद्द हो जाती है। यहां ध्यान देने वाली बात है कि शारीरिक या मानसिक व्याधि से ग्रसित व्यक्ति के लिए, जिसमें यह साबित हो जाए कि व्यक्ति किसी को पावर ग्रांट करने की स्थिति में नहीं है, तो ऐसी स्थिति में पावर ऑफ एटॉर्नी नहीं की जा सकती। लेकिन अगर ग्रांटर ने यह लिखा हो कि उसकी अक्षमता की स्थिति में भी पावर ऑफ एटॉर्नी वैध रहेगी। ऐसी स्थिति में पावर ऑफ एटॉर्नी का नियम लागू होती है, हां, यदि  ग्रांटर की मृत्यु हो जाय तो यह पावर ऑफ एटॉर्नी का मामला रद्द हो ही जाती है। पॉवर ऑफ एटॉर्नी का मामला कई रूप में होते हैं जैसे- ड्यूरेबल पावर ऑफ एटॉर्नी, हेल्थकेयर पावर ऑफ एटॉर्नी, फाइनेंशियल एटॉर्नी। दुनिया के अलग-अलग देशों में इससे संबंधित कानून और इसके प्रकार अलग-अलग होते हैं।