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Lotus Temple Delhi

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Enjoy holiday on Ship

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शनिवार, 3 अक्टूबर 2009

ऑरंगगऊटन अस्पताल



दुनिया में एक से बढ़कर एक स्थान है। इन स्थानों की अपनी एक अलग ही पहचान और खासियत होती है। इन खासियतों के कारण यह चर्चा के विषय बन जाते हैं। जी, हां हम बात कर रहे हैं मलेशिया स्थित ऑरंगगऊटन अस्पताल की। यह अनोखा अस्पताल देश-विदेश के मीडिया जगत की सुर्खियों में बना रहता है। यहां पर वन्यप्राणी ऑरंगगऊटन का ईलाज किया जाता है। यह पशु यहां के नज़दीक के जंगलों में पाए जाते हैं। इस स्थान को ऑरंगगऊटन आइलैंड भी कहा जाता है। यह जंगल मलेशिया के हृदयस्थली में स्थित है।

यह स्थान पर्यटकों के खास पसंदीदा स्थान बुकिट मेराह लेक टाउन रिजॉर्ट के नाम से विख्यात है। यह अस्पताल ऑरंगगऊटन के बच्चों के ईलाज के लिए प्रसिद्ध बन चुका है। यहां पर बिछड़े, परितक्त और घायल औरंगउटन लाए जाते हैं और इनकी देख-भाल की जाती है। इस परिवार के सदस्यों को यहां समुचित चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जाती है। यहां पर ईलाज के लिए 23 यूनिट्स लगायी गयी है।

ऑरंगगऊटन के बच्चों की शारीरिक जांच-पड़ताल करने के लिए सभी तरह की मेडीकल सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं।पशु चिकित्सक डॉ.साबापथी धार्मालिंगम का कहना है कि यह सारी सुविधाएं ऑरंगगऊटन जाति को सुरक्षित और फिट रखने के लिए है ताकि वह ज्यादा दिनों तक सुरक्षित और जीवित रह सकें।

इस वन्य प्राणी को बोरनियो के पास इसलिए ये सुविधाएं दी गई है क्योंकि यह स्थान महफूज होने के साथ-साथ उनके आवास स्थान से दूर भी नहीं है। इस साल अप्रैल महीने में यहां पर एक औरंगउटन के बच्चे को लाया गया था। यह बच्चा अपनी मां के द्वारा परितक्त था और उसकी मां उस पर काफी गुस्से में थीं। उसके बाद चिकित्सक दल को जून महीने में ऑरंगगऊटन का एक बच्चा मिला जो करीब 2 पाउंड और 6 औंस का था। पहले तो यह बच्चा औसत वज़न से कम था, ऊपर से श्वास संबन्धि गड़बडिय़ां भी थी।

चिकित्सक दल को इस जून जूनियर को बचाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। उसके शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए इसे इन्क्यूबेटर पर रखा गया। इस अनोखे अस्पताल के कर्मचारियों पर करीब तीस हज़ार पाउंड खर्चा आता है। इस रकम को यहां स्थित वाइल्ड लाइफ पार्क के दर्शकों के एंट्री फी से प्राप्त किया जाता है। डॉ. साबापथी आगे कहते हैं कि यहां पर ज्यादातर बच्चे जो करीब एक वर्ष के होते हैं, उन्हें इंटेनसीव केयर यूनिट (सघन चिकित्सकीय देख-रेख ईकाई) में रखा जाता है, उसके बाद इन बच्चों को इन्फेंट डेवलपमेंट यूनिट में चिकित्सकीय सुविधाएं दी जाती हैं। ये सारी सुविधाएं उन्हें इसलिए प्रदान की जाती है ताकि उनकी घटती संख्या को बढ़ायी सके क्योंकि मानवीय क्रियाविधि के बढ़ते प्रभाव के कारण उनकी संख्या दिन-प्रति-दिन घटती जा रही है। इन प्राणियों को बेहतर तरीके से चिकित्सकीय सुविधाएं मिले,इसके लिए इस अस्पताल के सभी कर्मचारी अपनी बेहतर सेवा दे रहे हैं।
मुकेश कुमार झा

अनोखा घर

मुकेश के झा 
  अनोखा घर




ईरान की दुल्हन के रूप में प्रसिद्ध इस स्थान पर स्थित अनोखा घर दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह स्थान सुषुप्त ज्वालामुखी पर्वत पर बसा हुआ है। ईरान के प्रसिद्ध शहर ताबरिज़ के दक्षिण में यह स्थित है। यहां पर करीब 17 पर्वत चोटियों हैं जो करीब 3000 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर हैं। इस पवर्त श्रृखंला प्रकृति की गोद में लिपटी हुई नज़र आती है। यहां पर तरह-तरह के पेड़-पौधे और जीव-जंतु पाए जाते हैं। यहां की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर ही इसे ईरान की दुल्हन कहते हैं।



मध्य-पूर्व में स्थित ईरान की सभ्यता और संस्कृति बहुत प्राचीन और गौरवपूर्ण है। प्राचीन समय में इसे पर्सिया के नाम से पुकारा जाता था। यहां के रहन-सहन के तौर -तरीके विश्व के हर सभ्यता के लोगों को प्रभावित किया है। मध्य-पूर्व एशिया की राजनीति में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। मध्य काल से लेकर आधुनिक काल तक इस देश ने कई झंझावतों को झेला है। खासकर, मध्य कालीन पर्सिया में चीनी अक्रांता चंगेज खां ने जमकर उत्पात मचाया था। उसने करीब यहां की आधी आबादी को अपने पैरों तले रौंद डाला था। यह घटना करीब 12वीं और 13 वीं शताब्दी के मध्य का है। उस समय विश्व के अधिकांश देशों में विदेशी आक्रांता हमला करते रहते थे। इन हमलों से बचाव के लिए तरह-तरह के उपाय करने पड़ते थे। इस उपाय का एक रूप आप यहां इन चित्रों के सहारे देख रहे हैं। जो चित्र यहां दिखाया जा रहा है, वह ईरान में  बने पुराने घरों का है। यह घर के बारे में अनुमान है कि यह 700 वर्ष  से भी पुराना है।



यह घर भले ही देखने में थोड़ा-बहुत अजीब तो लगता है लेकिन यह ईरान की गौरवशाली सभ्यता और संस्कृति की प्रतीक माना जाता है। यह ईरान के उत्तर-पूर्व में माउंट सहंद (Mount Sahand )के पास स्थित है। यह प्रसिद्ध स्थान कांदोवन (Kandovan) गांव के नाम से विख्यात है। इसे यहां के ज्वालामुखी चट्टान  को काटकर इस रूप में ढाला गया है। यह घर देखने में जरा हटकर लगता है। इस स्थान से अजैरबेजान की सीमा सटती है, इसी कारण इस स्थान को अज़ारबैजान( Azarbayjan) भी कहा जाता है। यहां पर कुछ घर दो मंजिले हैं तो कुछ चार मंजिल तक के हैं।



प्राय: यहां पर ग्राउंड फ्लोर का इस्तेमाल माल-मवेशियों को पालने में किया जाता है और सेकेंड फ्लोर का प्रयोग रहने में होता है। इन अनोखे घरों का टॉप फ्लोर का प्रयोग स्टोर रूम के रूप में किया जाता है। ज्यादातर घरों का मुख दक्षिण की ओर है, ताकि घर में रहने वालों को दिन-भर रौशनी मिलती रहे। इस घरों में लगी खिड़कियां ग्लास की है, जो काफी आकर्षक और सुंदर है। इन घरों में हवा आने की ऐसी व्यवस्था की गई है, जो घरों को ठंड में गर्म और गर्म में ठंड रखे। कुल मिलाकर प्र्राकृतिक एसी का मजा आप इन घरों में ले सकते हैं।




वर्तमान में यह घर आधुनिकता के रंग में रंग चुका है। सारी अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ यह घर मॉडर्न घरों की दुनिया को नये सिरे से परिभाषित कर रहा है। यहां के घरों को बिजली और पानी की सुविधाओं के साथ अन्य सुविधाएं भी मिलने लगी है। मान्यता है कि सहंद में पाए जाने वाले पानी पीने से किडनी की बीमारी दूर हो जाती है। इसलिए ज्यादातर पर्यटक इन बातों का विश्वास करके यहां आते हैं। यहां पर उपलब्ध पानी खेती-बाड़ी और पशु पालन में काम आता है। यह स्थान ईरान के सबसे ऊंची पर्वत श्रृखंला के अन्तर्गत आता है। इस पर्वत श्रृंखला के उत्तर में विंटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का भी निर्माण किया गया है। इस स्र्पोट्स कॉम्प्लेक्स को सहंद स्कीइंग स्टेडियम (Sahand Skiing Stadium) भी कहा जाता है। यहां पर आने वाले विजिटर्स के लिए तरह-तरह के खेल की सुविधा प्रदान की गई है। जिसमें मुख्य रूप से स्काईंग और स्नोर्बोडिंग है। यहां पर प्रत्येक साल मीड विंटर में स्नो स्टेच्यू प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इस प्रतियोगिता में देश भर के प्रसिद्ध कलाकार भाग लेते हैं। यह प्रतियोगिता को देखने देश और विदेश भर के पर्यटक आते हैं।



यहां पर रॉकी नामक प्रसिद्ध होटल भी आकर्षण के केंद्र में है। यह होटल गांव के हृदयस्थली में स्थित है। पांच सितारा होटल काफी प्रसिद्ध है। ईरान में यह अपने आप में पहला ऐसा होटल है, उसके बाद विश्व में तुर्की के बाद दूसरा ऐसा होटल है, जो सारी सुविधाओं से लैस है।



युद्ध की स्थिति में इस स्थान का काफी महत्व हो जाता था। ज्यादातर लोग अपनी जान और माल की रक्षा के लिए इस स्थान पर आश्रय लेते थे। समय के साथ सब कुछ बदल रहा हो तो भला यह प्रसिद्ध स्थान इस मॉडर्र्न युग के प्रभाव से कब तक सकता था। यहां पर भी अब मॉडर्न दुनिया का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। अब ये घर हाउसिंग कॉम्प्लैक्स का रूप ले चुका है। यहां पर किचिन रूम, लीविंग रूम, डायनिंग रूम और शानदार फर्श से सजा हुआ, आधुनिकता के रंग में रंगा हुआ नज़र आता है। कुछ घरों में गांव वालों ने रंग-बिरंगे ग्लास की खिड़कियां भी लगा चुके हैं जो देखने में काफी मनोहारी प्रतित होती  है।



यह स्थान ईरान के दो प्रसिद्ध शहर ओस्कु और तारबिज़ के नज़दीक ही स्थित है। यहां पर जाने के लिए आपको कार या बस का सहारा लेना होगा। इस स्थान को आप दूर से ही बड़ी आसानी से पहचान सकते हैं क्योंकि इसका भू-आकृति बताता है कि यहां पर कुछ खास है, जो आकर्षित करता है। यह अनोखा गांव चारों तरफ से हरियाली के आगोश में है। यह सदाबाहर स्थान अल्पाइन के पेड़ों से एक अलग ही दुनिया बसा ली है। यहां के घर का रूप-रेखा और साज-सज्जा को देखकर आप सहसा चौंक भी सकते हैं, क्योंकि घरों की बनाबट इतनी विचित्र लगती है कि आप को लगेगा कि यह स्थान रहस्मयी दुनिया से तो कहीं तालुक्कात नहीं रखता है। घरों का रूप ज्यामीतिय गणित के अनुसार कई रूपों और एंगल में दिखाई देता है। यह सब इतना अलग है कि आप ऊपरी तौर पर जब इन घरों को देखें तो पता ही नहीं चलता है कि इन घरों के अंदर भी एक अलग दुनिया हो सकती है। कुछ घरों का रूप होटल में तब्दिल हो चुका है, तो कुछ घर शॉपिंग के लिए खास बन गया है। यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती-बाड़ी और पशुपालन है। यहां पर भेंड़ों का पालन मुख्य रूप से किया जाता है। लेकिन अब यह विश्व के प्रमुख पर्यटक स्थल में आने के कारण यहां पर आने वाले टूरिस्टों से यहां के निवासियों को अच्छी आमदनी हो जाती है। इन अजीब घरों से इनकी आमदनी दिन-प्रति-दिन बढ़ती जा रही है। दुनिया भर के पर्यटक यहां आकर प्रकृति के इस नायाब तोहफे को देखकर आत्मविभोर से हो जाते हैं।



यहां पर 5 स्टार होटल को एक घर से दूसरे घर से जोड़कर और पत्थरों के सहयोग से काफी मज़बूत और उम्दा बनाया गया है। यहां आने वाले आगुन्तकों की स्वागत में यह होटल मेजबानी में  महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह होटल के पास ही कई कैफटेरिया हाउस भी है, जहां पर आप गरमा-गरम कॉफी और स्वादिष्ट ज़ाम-ज़ाम जूस का आनंद ले सकते है। बगल में बहने वाली नदी और गुलाबों से सुसज्जित गार्डन यहां का माहौल इतना खुशनुमा कर देता है कि आप का मन यहां रम जाएगा। प्रकृति के इस उपहार के नयनाभिराम दृश्य ऐसे मन-मस्तिष्क ऐसे बनते हैं कि आप वर्षों तक इस स्थान को याद रखेंगे और साथ में खीचें गए सुन्दर फोटोग्राफी को यादों के झरोखों में सहेज कर रख सकते हैं। तो देर किस बात की, आप भी इस स्वपन सरीखें दुनिया से रूबरू हो आइए।


यहां का ज्वालामुखी सुषुप्त अवस्था में है। ईरान के प्रसिद्ध शहर ताबरिज़ के  दक्षिण में यह स्थित है। इस पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी का नाम कमाल है, जो करीब 3,707 किमी. की ऊंचाई पर है। यहां पर करीब 17 पर्वत चोटियों हैं जो करीब 3000 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर है। इस पवर्त श्रृखंला प्रकृति की गोद में लिपटी हुई नज़र आती है। यहां पर तरह-तरह के पेड़-पौधे और जीव-जंतु पाए जाते हैं। यहां की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर ही इसे ईरान की दुल्हन कहते हैं।


इन स्थानों पर जो घरों का निर्माण किया गया है, वह मंगोल के आक्रमण के प्रभाव से बचने की तैयारी थी। इस विस्तृत ज्वालामुखी पवर्त को गुप्त रूप से काटकर यहां पर घरों का निर्माण किया गया। यह स्थान विदेशी आक्रांताओं के दुष्प्रभाव से बचने के लिए काफी सुरक्षित माना जाता था। ऊपरी तौर पर देखने पर लगता ही नहीं था कि यहां पर लोग रह भी सकते हैं।

रिजोर्ट

मस्त रिजोर्ट- गुफा रिजोर्ट
यह भारत का पहला गुफा में स्थित रिजॉर्ट है, जो प्रकृति की गोद में एक अनोखे दुनिया की कहानी बयां करता है। आधुनिकता के पुट के साथ एंटीक वस्तुओं, कला और संस्कृति से जुड़कर 'केव रिजॉर्ट' पयर्टकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। 

     वक्त के साथ बदलती दुनिया में दिन- प्रति -दिन लाइफ स्टाइल बदल रहा है। इस बदलते लाइफ स्टाइल में कुछ न कुछ नया दिखना लाजिमी है। दुनिया भर में लोगों को आकर्षित करने के लिए कंपनियां हर बार कुछ हटकर और नया करना चाहती हैं। इस नयापन से जहां कंपनियों को अपनी आमदनी बढ़ाने का नुस्खा  मिल जाता है, वहीं लोगों को भी उमंग-तरंग में डूबने का एक नया अंदाज़ भी मिलता है। यदि आप एक नए अंदाज़ से रूबरू होना चाहते हैं तो एक बार ज़रुर केव रिजॉर्ट में घूम आइए। यह रिर्जाट गुफा के अंदर बनाया गया है, जो एक नये फ्लैवर और कलेवर से भरपूर है। यह रिर्जाट कर्नाटक के गुहनतारा में स्थित है, जो प्रसिद्ध कनकपूरा के मुख्य मार्ग में स्थित है। यह मेट्रो सिटी बंगलुरु से 22 किमी. दूर है। यहां योगगुरु रविशंकर जी का आर्ट ऑफ लीविंग का आश्रम और कग्गलीपुरा झील भी स्थित है। प्रकृति की गोद में सिमटा यह अनोखा रिजॉर्ट शहरी वातावरण से दूर एकांत में स्थित होने के कारण स्वयं से साक्षात्कार होने का अवसर प्रदान करता है। वहां जाने के लिए ऊबर-खाबर रास्ता आपको एडवेंचरस होने का अहसास भी दिलाता है। प्रकृति प्रदत समान इस रिजॉर्ट का मुख्य संसाधन है, जिसके सहारे इसके निर्माण कार्य को पूरा किया गया है। बांस के सहारे यहां आने-जाने वालों के लिए ब्रिज का निर्माण किया गया है, जो इस रिजॉर्ट में आने- जाने में सुविधाएं प्रदान करता है। रिजॉर्ट को इस तरह डिज़ायन किया गया है कि प्राचीन और आधुनिकता के अनोखा  संगम से थोड़ा बहुत रहस्यमयी सा बन गया है। इन दोनों के स्वरूपों के कारण रिजॉर्ट में बना एम्पिथियेटर एक रोमांचक अनुभव देता है। इस एम्पिथियेटर में प्रकृति के तत्वों का भरपूर समावेश है जो आपको एक अलग दुनिया से रूबरू करबाता है। यहां 700 लोगों की बैठने की क्षमता है। अद्र्धवृत्ताकार के आकार में यह थियेटर घंटी के टोप के समान दिखायी देती है।

 'रंगामनदापा' नाम का यह एम्पिथियेटर स्वर्ग जैसा अनुभूति प्रदान करने में सक्षम है । यहां आकर आपके कदम अपने आप कार्यक्रम से जुड़ जाएंगे, ऐसा हो भी भला क्यों नही, जब माहौल ही कुछ अलग हो। इसके छत को कृत्रिम रूप बनाए गये हैं और इसे पिलर के सहारे मज़बूती प्रदान की गयी है। यहां का वाटरफॉल पानी की दुनिया की एक अलग ही कहानी गढ़ता  है, जिसमें उतरकर आप भी रोमांचित हो सकते हैं। यहां के लोककला और लोकसंस्कृति की झलक आपके मन को मोह लेगी । यहां का कौसिटा का पुल एरिया आपके उत्साह और उमंग को बढ़ाकर आपमें जोश भर देगा। समभोजना के फुड कोर्ट के खान-पान आपको बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। व्यजंनों के प्रकार देखकर आप अपने को खाने से रोक नहीं पाएंगे। यहां का वातावरण भी सादगी से पूर्ण है, जिसके कारण आप निश्चिंत होकर खाने का भरपूर आन्नद उठा सकते हैं।

 संवाद रिजॉर्ट का कॉनफ्रेंस रूम है, जहां एक बेहतर माहौल आपके संवाद करने के अंदाज को एक नया अदा देता है। यह संवाद रुम कई महत्वपूर्ण मुद्दों का सलाह-मशविरा का केन्द्र बन चुका है। कॉरपोरेट जगत के दिग्गज, नेता ,अभिनेता कई महत्वपूर्ण बातों का गवाह इस प्रसिद्ध स्थान को बना चुके हैं। शांति से पूर्ण भरा यहां का माहौल इस संवाद की अयादगी में महत्वपूर्ण भी भूमिका निभाता है। यहां करीब 100 लोगों की बैठने की क्षमता है। मस्ती, उमंग और तरंग के बीच मधुशाला का रूप रेखा खींचे तो इस केव रिजॉर्ट का वर्णन अधुरा ही माना जाएगा।

मधुशाला नाम से मशहूर यह स्थान आपको हल्के सुरूर का एक बेहतरीन मौका देता है। मय के प्याले जब साकी अपने कोमल हाथों से पिलाए तो भला किसका मन न मचल उठे। इस रिजॉर्ट में आप थीमपार्क, फनपार्क के कई रोमांचक क्षण का भी आनंद उठा सकते हैं। तो देर किस बात की है, अब आप भी भारत की पहली गुफा रिजॉर्ट के अनोखे और रहस्यमयी दुनिया से मुलाकात कर आइए।
मुकेश कुमार झा