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बुधवार, 3 फ़रवरी 2010

दिल्ली की शान- दिल्ली सचिवालय

दिल्ली की शान के रूप में प्रसिद्ध दिल्ली सचिवालय वास्तुकला के बेहतरीन नमुना पेश करता है। इसके स्वरूप में आधुनिकता और सौम्यता का पुट इसे काफी आकर्षक बना दिया है। सत्ता के केन्द्र में स्थित इस सचिवालय में दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री, कैबिनेट स्तर के मंत्री और प्रमुख वरिष्ठ अधिकारियों का दफ्तर भी है।
दिल्ली सचिवालय का वास्तविक नाम प्लेयर्स बिल्डिंग है। यहां पर दिल्ली सरकार की वरिष्ठ अधिकारियों का दफ्तर है। सचिवालय में मुख्यमंत्री, मंत्रालय के प्रमुख अधिकारी और कैबिनेट स्तर के मंत्रियों के भी दफ्तर हैं। दिल्ली सरकार के कई महत्वपूर्ण विभागों का दफ्तर भी इसी बिल्डिंग में है। इस बिल्डिंग के निर्माण का इतिहास काफी रोचक है। दिल्ली में 1982 ई. में जब एशियन गेम्स हो रहा था, तब इसे एथेलिट के रहने के लिये बनाया जा रहा था लेकिन किसी कारणवश इसे परिणति तक नहीं पहुंचाया जा सका। इसका निर्माण कार्य अधुरा रह गया। एशियन गेम्स के समय तक इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जा सका। इस बिल्डिंग को आधे-अधुरी की स्थिति में करीब 15 साल तक छोड़ दिया गया। इस दरम्यान इसे प्राकृतिक रूप से नुकसान भी झेलना पड़ा। इतने सालों में इस आधी-अधुरी बिल्डिंग की हालात और भी खास्ता हो गयी। बाद में दिल्ली लोक निर्माण विभाग ने वर्ष 1998-2000 के बीच इसे नया करने के साथ इसे मरम्मत भी करवायी। इसे  नया  करने के समय बिल्डिंग की रूप-रेखा को निखारने के साथ-साथ वर्ष 1974 के इंडियन बिल्डिंग कोड के अनुसार संरक्षित ही नहीं, बल्कि उसकी मज़बूती को और बेहतर करने के लिये खासतौर पर भूकंपरोधी बनाया गया। दिल्ली चूंकि भूंकप प्रभावित जोन चार में आता है। यहां का इलाका भूकंप के मामले में संवदेनशील है, इसलिये इस बिल्डिंग को नया रूप देने के समय इस बात का खास ख्याल रखा गया। दिल्ली सरकार और संयुक्त राज्य अमेरिका के अंतरार्ष्ट्रीय विकास एजेंसी के संयुक्त प्रयास के द्वारा इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को पूरा किया गया। दुनिया की जानी-मानी भूकंपरोधी विकासकर्ता कंपनी GeoHazards International (GHI) ने अपने तत्वाधान में जाने-माने भारतीय इंजीनियर के दल और संयुक्त राज्य अमेरिका के एक्सपर्ट इंजीनियर के दल ने इस बिल्डिंग को किस प्रकार से भूकंपरोधी और मज़बूत बनाया जाये, इसके लिये समीक्षा की और पांच ग्रुप के एक्सपर्ट ने इसे बेमीसाल मज़बूती से पूर्ण बनाया। इसे इस प्रकार से बनाया गया कि भविष्य में इसके साथ कई और भी बिल्डिंग का निर्माण किया जाय तो इसकी भूकंपरोधी और मज़बूती पर प्रभाव न पड़े। दिल्ली लोकनिर्माण विभाग ने बिल्डिंग की डिज़ाइन, कन्सट्रक्शनऔर नया रूप देने के समय की पूरी रिपोर्ट के आधार पर इसके भूकंपरोधी प्रभाव की समीक्षा की और पाया कि बिल्डिंग के निर्माण और नया रूप देने के दरम्यान इन सभी बातों को ख्याल रखा गया है। वर्ष 2005 में दिल्ली लोक निर्माण विभाग ने बिल्डिंग की आंतरिक क्षमता को लेकर समीक्षा फिर से की, समीक्षा के दौरान पाया गया कि बिल्डिंग की ऊपरी तल कुछ मामले में कमजोर है लेकिन बाद में इन सभी खामियों को दूर कर लिया गया।
ले-आइट
दिल्ली सचिवालय विकास मार्र्ग पर स्थित है। बिल्डिंग 11 मंजिला है। बिल्डिंग से लगभग  1 किमी. की दूरी पर यमुना नदी बहती है। यह नदी बिल्डिंग स्थल से पूर्व की ओर है। दिल्ली सचिवालय का आकार अंग्रेज़ी के अक्षर Y  से काफी मिलता जुलता है। बिल्डिंग समान रूप से तीन बराबर भागों में केन्द्रीय कोर के चारों तरफ से है। इसके नीचे की मंजिल और प्रथम मंजिल ऊपर की मंजिल की अपेक्षा बड़ी और विस्तृत है। नया रूप देने  बाद विंग ए जो बांयी तरफ है। यहां पर प्लान के मुताबिक नीचे वाली मंजिल थोड़ी विस्तृत और फैली हुयी है, जबकि ऊपर वाली मंजिल छोटी है। इस बिल्डिंग में ध्यान देने वाली बात यह है कि यहां पर आप को अंकों के मामले में काफी अंतर देखने को मिल सकता है। शायद भूकंपरोधी प्रभाव को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिये ऐसी युक्ति सोची गयी हो। बिल्डिंग के विंग और केन्द्रीय स्वरूप में काफी असमानता दिखायी देती है। सेंटर कोर को जुड़े हुये विंग से अलग-थलग है। यहां पर 25 एमएम भूकंपरोधी जोड़ पूरी बिल्डिंग की ऊंचाई से जुड़ा हुआ है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाय तो इस तरह के निर्माण का मतलब है कि भूकंप के समय पूरी बिल्डिंग सुरक्षित रहे, वह भी बिना क्षति पहुंचे। बिल्डिंग के फ्लोर प्लेट्स क्षैतिज रूप से पंक्तिबद्ध किया गया है, ताकि बिल्डिंग के स्तम्भ गिरने के कारण नहीं बने। बिल्डिंग को कंक्रीट फ्रेम के साथ मज़बूती के साथ दीवार से जोड़ा गया है, जिसके कारण निर्माण में फौलाद की शक्ति आ गयी।
मुकेश कुमार झा