Hut Near Sea Beach

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House Boat

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Poly House

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Lotus Temple Delhi

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Enjoy holiday on Ship

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बुधवार, 10 दिसंबर 2014

फ्लैटस का बढ़ रहा है प्रचलन

   एक समय था जब लोगों की चाहत होती थी कि उनका एक बडा सा घर हो, उसमें खुला आंगन हो, कुछ पेड-पौधे और सैर-सपाटे के लिए भी पर्याप्त जगह भी मौजूद  हो। हांलाकि यह चाहत आज भी जीवित है और आज भी कई लोग प्लॉट खरीदकर मकान बनाने को तरजीह देते हैं लेकिन, शहरी इलाकों में तेजी से बढ रही आबादी और मकान बनाने के लिए कम हो रही जगह के कारण अब लोगों का रूख फ्लैटस की ओर बढ रहा है- इसकी दूसरी वजह प्लॉट्स की आसमान छूती कीमतें भी हैं।


दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में तो यह स्थिति और भी बदतर हो चुकी है, यहां अधिकतर लोग या तो किराए पर मकान लेकर रहते हैं या फिर बिल्डरों द्वारा तैयार किए गए फ्लैटस खरीदते हैं-प्लॉटस के लिए जगह तो लगभग समाप्त ही हो चुकी है बढती आबादी, विकास और बढती कीमतों के मिले जुले प्रभाव के कारण अब लोगों को फ्लैट कल्चर ही रास आने लगा है।
क्यों बढ रहा है चलन: भारत जैसे दिल्ली, मुंबई, जयपुर, नोएडा, गुडगांव आदि में पिछले दस वर्षों में जितने फ्लैट बने हैं इससे पहले कभी नहीं बने थे- इसका कारण बिल्डरों द्वारा लोगों की समस्या और जरूरत को समझते हुए मौके को भुनाया जाना है। दक्षिण दिल्ली स्थित एक प्रॉपर्टी डीलर सुरेश धींगडा का मानना है कि 'पिछले कुछ सालों से दिल्ली में फ्लैटस का चलन इसलिए बढा है क्योंकि एक तो यहां मकान बनाने के लिए जगह नहीं बची ऐसे में शहर में बने-बनाए मकान को कौन नहीं खरीदना चाहेगा। दूसरे, फ्लैटों में उपलब्ध सुविधाएं भी लोगों को आकर्षित करती हैं।
शहरों में खाली पडी जमीन अब तेजी से घिरती जा रही है, इसमें शॉपिंग मॉल्स, स्टेडियम,अस्पताल, शिक्षण संस्थान और अन्य विकास कार्यों के लिए जगह खरीदी जा रही है। प्रॉपर्टी डीलर धींगडा के अनुसार 'जब से दिल्ली में मैट्रो और फ्लाई ओवरों के काम ने जोर पकडा है तभी से विभिन्न विकास कार्यो में प्रगति हुई है, जिस कारण जिस जमीन की कीमत पहले तीन से चार हजार रुपए प्रति वर्गमीटर थी, वही अब बारह से पंद्रह हजार रुपए प्रति वर्गमीटर में बिक रही है।
इनमें क्या है खास :
 आकर्षक सुविधाएं- फ्लैटस की यही सबसे बडी खासियत होती है कि वहां आपको तमाम सुविधाएं आपके पहुंचने से पहले ही तैयार मिलती हैं, जिनमें पूरी तरह तैयार कमरे, बिजली और पानी का कनेक्सन व रहने के लिए पूरी तरह तैयार सुविधाएं शमिल है, वहीं प्लॉट खरीदकर मकान बनाने और उसमें अपनी जरूरतों के अनुसार तमाम सुविधाएं जुटाते समय धन और वक्त दोनों ही लगते हैं जिनका कि आज के समय लोगों के पास अभाव है।
रियल एस्टेट में  बढ रहे कम्पीटीशन के कारण भी अब कई नामी गिरामी बिल्डर अपने फ्लैटस में तमाम वह सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं जिनसे यह फ्लैटस किसी पॉश कॉलोनी से कम नहीं लगते। कुछ प्रमुख बिल्डर जैसे अंसल, जयपुरिया, डीएलएफ, ओमैक्स और गौडसंस जैसे बिल्डर अपने फ्लैटस में स्विमिंग पूल, स्र्पोटस ग्राउंड, क्लब और जिमनेजियम जैसी तमाम आकर्षक सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं।
एनसीआर के फ्लैटस तो इतने आधुनिक हैं कि इनमें अधिकतर एनआरआई ही रहना पसंद कर रहे हैं। हांलाकि इसके लिए उन्हें बहुत बडी रकम भुगतान करने पडते हैं। यह फ्लैटस अरेंज्ड व ऑथराइज्ड भी होता है। इन फ्लैटों में रोड मैप भी अवस्थित होता है, जिससे आप एक अव्यवस्थित शहर में कुछ तो सही पा ही सकते हैं। अब हरियााणा के धारूहेडा को ही लें, यहां बसाए जा रहे सेटेलाइट टाउन में आप शॉपिंग मॉल, हॉस्पिटल, स्कूल, बैंक, और तमाम बैंकों के एटीएम जैसी तमाम सुविधाएं पा सकते हैं।
सुरक्षा भी भरपूर- दिन-प्रतिदिन अपराध के बढ रहे ग्राफ को देखते हुए आजकल दिल्ली जैसे शहरों में जीना दूभर हो गया है, प्रत्येक व्यक्ति अपने घर के लिए सिक्युरिटी की व्यवस्था तो कर नहीं सकता जिसके चलते चोरी, डाका होने का डर सदैव बना रहता है-इसके विपरीत फ्लैटों में चौकीदार या सुरक्षा प्रहरी की व्यवस्था होती है- साथ ही घरों के आस-पास होने के कारण चोरी जैसी वारदात भी कम ही होती है, इस प्रकार सुरक्षा की दृष्टि से भी फ्लैट लोगों की फस्र्ट 'वाइस बनते जा रहे हैं।
निवेश में भी फायदेमंद-रियल इस्टेट को फ्लैट निर्माण के चलते दिन दुगुना और रात चौगुना मुनाफा हो रहा हैं, धींगडा के अनुसार ' फ्लैट बनाने में बिल्डरों को दुगुने से भी अधिक का फायदा होता है। यदि कोई बिल्डर फ्लैट बनाने के लिए एक एकड जमीन एक करोड में खरीदता है तो उसमें वह करीब पचास फ्लैट बनाकर प्रत्येक को बीस लाख रुपए में बेचता है, ऐसे में आप स्वयं देख सकते हैं कि उसने कितना मुनाफा कमाया। Ó
दूसरी ओर, फ्लैट खरीदने वाला व्यक्ति भी घाटे का सौदा नहीं करता उसे भी शहर में रहने के लिए वाजिब दाम में एक बढिया सा मकान मिल जाता है, इससे बढकर और क्या फायदा होगा और ऐसे मेें बेचने वाला भी खुश और खरीददार भी। केवल उद्योगपति और प्रॉपर्टी में निवेश करने वाले ही नहीं, बल्कि अब तो मध्यम आय वर्ग के लोग भी इन फ्लैटों की ओर कूच कर रहे हैं।
सवाल कीमत का: दिल्ली और एनसीआर की बात करें तो यहां पिछले पांच वर्षों से कीमतों में भारी उछाल आया है। मैट्रो और शॉपिंग मॉल्स के कारण न केवल प्लॉट बल्कि फ्लैटस भी काफी मंहगे हो गए हैं। फ्लैट की कीमत एरिया लोकेशन, बिल्डर और सुविधाओं के हिसाब से तय होती है-अमूमन दो बेडरूम के फ्लैट की कीमत बारह से बीस लाख रुपए के बीच रहती है। वहीं तीन बेडरूम या इससे ज्यादा के फ्लैट जिनका क्षेत्र एक हजार वर्गफुट तक है, औसतन ४५ से ६० लाख रुपए में बिक रहे हैं। धारुहेडा में इस समय कीमत जमीन की कीमत १५०० से २००० रुपए प्रति वर्ग फुट है जो निकट भविष्य में दुगुनी होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। हांलाकि यह कीमतें लोकेशन के अनुसार घटती-बढती भी रहती हैं। इस समय दिल्ली और एनसीआर यथा गुडगांव, गाजियाबाद, धारुहेडा के इलाके में फ्लैटस की कीमत आसमान छू रही है।
शहरों की चकाचौंध-फ्लैटस के बढ रहे चलन का सबसे महत्वपूर्ण कारण लोगों के शहर में रहने की तमन्ना भी है। दूसरे राज्यों से आए अधिकतर युवा जब राजधानी जैसे शहरी इलाकों में रहने लगते हैं तो वह भी यहीं बसने का ख्वाब देखने लगते हैं। आखिर देखें भी क्यों नहीं, आजकल युवा मल्टीनेशनल कंपनियों में काम कर रहे हैं जहां उन्हें मोटी रकम तन्ख्वाह के रूप में मिलती है, इससे वह आसानी से फ्लैट खरीद लेते हैं और अपनी चाहत पूरी करते हैं।
शहरों में एक वर्ग ऐसा भी है जो एक लंबे अर्से से यहां किराए पर जिंदगी बसर कर रहा है लेकिन अपना एक मकान पाने की हसरत भी मन में बिठाए रहता है। यह लोग अधिकतर रिटायरमेंट के बाद या फिर बचत के परिणामस्वरूप अंतत: फ्लैट के रूप में एक मकान हासिल कर लेता है। कुल मिलाकर इन सभी कारणों की वजह से शहरों में फ्लैट कल्चर को बढावा मिला है।
दूसरा पहलू भी-फ्लैटों में रहना और सुरक्षित भले ही हो, लेकिन सदैव आरामदायक और मनोनुकूल नहीं हो सकता। स्वनिर्मित मकान में रहने पर जितनी स्वतंत्रता हो सकती है उतनी फ्लैटस में नहीं होती। अकसर छोटी-छोटी बातों को लेकर फ्लैटस में लडाई-झगडे चलते रहते हैं। इनका कारण सीमित जगह होने के कारण हर कोई अपने हदबंदी कर लेता है ओर यदि ने किसी ने उसकी सीमा के अंदर अपना सामान रख दिया तो झगडा हो गया समझो।
फ्लैट देखने में भले ही भव्य और आकर्षक क्यों न लगते हों जब तक उनमें सुरक्षा के सभी उपाय न किए जाएं तो उनकी भव्यता भला किस काम की। मुनाफा कमाने के चक्कर में कई बिल्डर निर्माण के समय घटिया सामग्री का प्रयोग करके लोगों की जान-माल दोनों से खिलवाड करते हैं। भूकंपरोधी और अग्निशमन के तमाम उपाय करना भी बिल्डर का कर्तव्य बनता है।

स्मार्ट होम


सिमी अपनी बेटी के एयर - कंडीशंडबेड रूम में बैठकर उसे कहानी सुनाकर सुलाने की कोशिश कर रही हैं। सिमी इस कमरे में बैठकर भी अपने फ्लैट में लगे क्लोज सर्किट कैमरे की बदौलत यह देख सकतीहैं कि मुख्य दरवाजे से कौन घर के अंदर आ रहा है या बाहर निकल रहा है। सिमीयहीं बैठकर अपनी किचेन के लाइट बंद कर सकती हैं। फ्लैट के प्रत्येक कमरे में एकपैनल लगा है जिसके जरिए रिमोट कंट्रोल के इस्तेमाल से पूरे फ्लैट की लाइटिंग कानियंत्रण किया जा सकता है। पैसेज में कोई गतिविधि होने के साथ ही लाइट ऑन होजाती है। इसकी वजह पैसेज में लगा सेंसर है जो खुद ब खुद लाइट ऑन या ऑफ करदेता है। 



कार्यस्थल के अलावा घर ही एकऐसी जगह है जहां हम अपनाअधिकांश समय बिताते हैं। कार्यस्थलकी सजावट और डिजाइन आदि कोतय करना हमारे हाथ में नहीं होतालेकिन घर के डिजाइन और साज -स'जा को हम अपनी मर्जी और रूचि केअनुसार तैयार कर सकते हैं या फिरइसमें बदलाव ला सकते हैं।

सुविधा , सुरक्षा और सौंदर्य का ख्याल

स्मार्ट होम के दौर में आपका स्वागत है। इन घरों में आधुनिक तकनीक के साथ हीनवीनतम डिजाइन और कला के इस्तेमाल से सुविधा , सुरक्षा और जीवन के सौंदर्य कोबढ़ाया जाता है। तकनीक में परिवर्तन आने के साथ ही हमारे जीवन की सुखसुविधाओं में भी दिनोंदिन बढ़ोतरी हो रही है। अर्थव्यवस्था के विकास की रफ्तारबढऩे के साथ ही लोगों की आमदनी भी बढ़ी है। रियल एस्टेट के बाजार में तेजी औरआकांशाओं के बढऩे के साथ ही नए मैटीरियल , गैजेट और डिजाइन सेवाओं केउपलब्ध होने से स्मार्ट होम अब भारत में वास्तविकता बन गए हैं और आर्थिक रूप सेमजबूत परिवार अब ऐसे घरों की ओर बड़ी संख्या में आकर्षित हो रहे हैं।

रियल्टी कंपनियों ने भी ग्राहकों की नब्ज पकड़कर अपनी रणनीतियों में बदलाव किएहैं। कंपनियां अब ऐसे अपार्टमेंट बना रही हैं जिनका डिजाइन ग्राहक अपनीइ'छानुसार तय कर सकता है। ग्राहक अब अपने घर के आसपास का माहौल औरसुविधाओं के लिए कुछ अधिक खर्च करने को भी तैयार हैं। इसे देखते हुए रियल्टीकंपनियां बहुमंजिला पार्किन्ग , स्मार्ट लिफ्ट , बेहतर सिक्युरिटी सिस्टम , क्लब हाउस, स्विमिंग पूल , एयर - कंडीशंड और फर्नीश्ड लॉबी के साथ साफ सफाई औरइलेक्ट्रीशियन , प्लम्बर और माली जैसी सेवाएं भी उपलब्ध करा रही हैं।इस सबसे हमारे सोचने और जीने के तरीके में बड़ा बदलाव आया है। वे दिन बीत गएजब हम अपने घर के डिजाइन के अनुसार खुद को ढालते थे। घर का डिजाइन अबइसके मालिक की जीवनशैली के अनुरूप तैयार किया जाता है और इसे बेहतर बनानेमें कोई कसर नहीं छोड़ी जाती।

बाथरूम पर दिल खोल कर खर्च हो रहा है

स्मार्ट होम में बाथरूम पर खास ध्यान दिया जाता है और इसपर काफी खर्च होता है।बाजार में सैनिटरीवेयर , टाइल और अन्य सामान में बेहतरीन और आधुनिकडिजाइन मौजूद हैं। बाथरूम में गीले और सूखे भाग होते हैं। इसके साथ ही रेन शावर ,तापमान के नियंत्रण वाले बॉडी शावर और प्रेशर पंप भी लगे होते हैं। बाथटब केबाजार में बहुत से विकल्प मौजूद हैं। अब आप बाथटब में ही जैकुजी , स्टीम क्यूबिकल, संगीत , एफएम रेडियो , मिनी बार और डीवीडी प्लेयर की सुविधा का इस्तेमालकर सकते हैं। इसके अलावा वॉशबेसिन के भी बहुत से सुंदर डिजाइन मौजूद हैं।बाथरूम की सजावट पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है। बाथरूम में मैगजीन रैकऔर वजन मापने वाली मशीन भी रखी जा रही है।

होम ऑटोमेशन - तकनीक का अदभुत इस्तेमाल

होम ऑटोमेशन सिस्टम आज के घरों में आधुनिक तकनीक का शायद सबसे बेहतरउदाहरण हैं। इनमें सबसे आगे लाइटिंग और सिक्योरिटी सिस्टम हैं। होम ऑटोमेशनसिस्टम के जरिए पूरे घर की बिजली व्यवस्था पर नियंत्रण किया जाता है। इनमें टच -स्क्रीन एलसीडी मॉनीटर लगे होते हैं जिनपर पूरे अपॉर्टमेंट को देखा जा सकता है औरआप एक पॉइंट से ही इलेक्ट्रीक्लस को कंट्रोल कर सकते हैं। मोशन सेंसर के जरिएकमरे में किसी की मौजूदगी होने या न होने पर लाइट खुद ब खुद ऑन या ऑफ होजाती हैं। इसमें एक मास्टर रिमोट कंट्रोल भी उपलब्ध होता है जिससे आप अपनेएयरकंडीशनर और टेलीविजन के साथ ही लाइटिंग को भी कंट्रोल कर सकते हैं। घर की सुरक्षा में सिक्युरिटी सिस्टम अहम भूमिका निभा रहे हैं। इनमें क्लोज सर्किटकैमरों के साथ बायोमैट्रिक लॉकिंग सिस्टम और बरगलर अलार्म भी लगा होता है।सुरक्षा में कोई भी सेंध लगने पर अलार्म बज जाता है और अगर आप घर से बाहर हैंतो आपके मोबाइल पर एसएमएस के जरिए संदेश आ जाता है।

होम थिएटर : जोर पकड़ रहा है चलन

घर के किसी एक कमरे को होम थिएटर के रूप में तब्दील करने का चलन काफीलोकप्रिय हो रहा है। इसमें एक प्रोजेक्टर , सराउंड साउंड , चौड़ी और आरामदायककुर्सियां और अन्य सुविधाएं मौजूद होती हैं। होम थिएटर के साथ आप घर पर हीमल्टीप्लेक्टस सिनेमाहॉल जैसे अनुभव के साथ अपनी पंसदीदा फिल्म का लुत्फ लेसकते हैं।

सुविधाजनक किचन

रसोईघर घर का एक अहम हिस्सा होता है। आज के दौर में किचेन में आधुनिकउपकरणों के साथ ही अन्य सुविधाएं भी मौजूद होती हैं। डिशवॉशर को वॉशिंग मशीन, चिमनी को बर्नर और माइक्रोवेव को ओवन के साथ जोड़ा जा रहा है। रेफ्रीजरेटर काआकार तो बढ़ा ही है , इसके साथ ही इसमें वॉटर फिल्टर को भी जोड़ा जा रहा है।किचेन में अब आकर्षक डिजाइन वाली यूनिट लगाई जा रही हैं। इनमें आप बर्तन औरअन्य सामान रख सकते हैं।

लिविंग रूम - स्टाइल और सुविधा का संगम

लिविंग रूम में बड़े आकार वाले सोफा चलन बढ़ रहा है। इसके साथ ही बड़ी स्क्रीनवाले एलसीडी टेलिविजन को भी पसंद किया जा रहा है। इसी कमरे में एक मिनी बारको भी जगह दी जा रही है। इसमें काउंटर , बार स्टूल और अन्य सामान मौजूद रहताहै। इसके डिजाइन पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है।

बेडरूम - बदल रहा है स्टाइल
बेडरूम घर का वह कमरा होता है जहां दिनभर की थकान के बाद व्यक्ति चैन की नींद लेने के लिए पहुंचता है। बेडरूम में भी बहुत से बदलाव देखे जा रहे हैं। इसमें बड़ेआकार के बेड पर आरामदायक गद्दों और खूबसूरत बेडशीट का इस्तेमाल हो रहा है।साथ ही इसमें एलसीडी टेलिविजन , मसाज चेयर , परफ्यूम कैबिनेट , डिजाइनर पर्दोंको भी जगह दी जा रही है। ब'चों के बेडरूम को उनकी उम्र और रूचि के अनुसारडिजाइन किया जा रहा है। ब'चों की स्टडी टेबल और लाइब्रेरी भी बेडरूम में भी मौजूद होती है।

साज - सज्जा  में बढ़ रहा है कला इस्तेमाल
घर की सजावट और इसमें सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए पेंटिंग और कला कीअन्य वस्तुओं के साथ ही फेंग शुई का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। घर के डिजाइनमें कला को विशेष महत्व मिलने लगा है। यह कहा जा सकता है कि अगर आपके पासधन की कमी नहीं है तो आधुनिक सुविधाओं और नए डिजाइन के साथ आप अपनेसपनों के आशियाने को हकीकत में तब्दील कर सकते हैं।

घर लेते समय यह बात भी जानें



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घर का सपना हर एक किसी का होता है। इस सपने को पूरा करना इतना आसान नहीं है। खासकर, आज -कल की बढ़ती महंगाई में। लेकिन इसके साथ लोगों की आमदनी में भी अच्छी -खासी बढ़ोत्तरी हो रही है। घर लेना पहले जि़न्दगी  की अंतिम पड़ाव माना जाता था, पर आज के दौड़ में युवा पीढ़ी 30-35 साल के होते ही घर लेने के बारे में सोचने लग ता है। इसके पीछे दुनिया का अर्थशास्त्र काम करता है। इन सभी बातों के साथ घर लेने के समय कुछ महत्वपूर्ण बातें भी काफी मायने रखती हैं- जानते हैं कैसे। 
जि़न्दगी भर  की  जमा-पूंजी का सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में घर होता है। एक अदद आशियाने के सपने का सकार करना आज कल लोगों  का मुख्य ध्येय बनता जा रहा है। खासकर, इस माममे में युवा पीढी  तीस की उम्र के आसपास ही इसकी योजना बनाने लग ते हैं। स्मार्ट बैंकिंग  और हाउस लोन ने उनके इस सपने को पूरा करने के लिए ज़मीन भी तैयार की है। बड़े शहरों में मकानों और फ्लैट्स की एक सीमित क्षमता होने के चलते ऐसे लोगों  के लिए आसपास के इलाकों में जाने का विकल्प बचता है। लेकिन यहां कुछ महत्वपूर्ण बातों पर गौर करें तो आपका वर्तमान और भविष्य दोनों ही सुरक्षित रहेगा । जिस डेवलपर से आप फ्लैट लेने जा रहे हैं, सबसे पहले बाज़ार में उसकी विश्वसनीयता की जांच कर लें। उसने पहले कौन से प्रोजेक्ट तैयार किए हैं, ये ज़रूर देखलें। अगर फ्लैट्स निर्माणाधीन हैं तो यह पता कर लें कि इससे पहले उस डेवलपर ने अपने प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे किए या नहीं। उन प्रोजेक्ट्स में रहने वालों लोगों से मिलकर यह पता कर लें कि क्या उन फ्लैट्स में वे सारी सुविधाएं मौजूद हैं, जिनके वादे किए गए थे। यह भी पता कर लें कि वह डेवलपर ग्रुप  हाउसिंग  या टाउनशिप प्रोजेक्ट्स से जुड़ा हुआ है अथवा नहीं। डेवलपर की विश्वसनीयता जांचने के बाद कानूनी पहलुओं को देखना भी ज़रूरी है। एक डेवलपर को तमाम विभागों  जैसे, नगर निगम, वन, पर्यावरण आदि से इजाजत लेनी पड़ती है। यह देख लें कि उसकी लापरवाही की वजह से बाद में आपको किसी कानूनी पचड़े में न फंसना पड़े। इसके साथ ही यह भी जांच लें कि प्रोजेक्ट को बैंक से लोन मिला है या नहीं। दरअसल यदि बैंक ने लोन दिया है तो इसका मतलब यह होता है कि प्रोजेक्ट के लिए कानूनी औपचारिक ताएं पूरी कर ली ग ई हैं। यह भी ज़रूरी है कि प्रोजेक्ट निर्माणधीन होने की स्थिति में डेवलपर के साथ एग्रीमेंट  साइन कर लें। ये काम आप जितनी जल्दी कर लें उतना ही अच्छा  है क्योंकि साइन करने के बाद आप समय समय पर प्रोजेक्ट की ग ति देख सकते हैं और यह भी जान सकते हैं कि आपका फ्लैट आपकी मर्जी के मुताबिक बन रहा है या नहीं। आपको फ्लैट की वास्तविक लोकेशन की जानकारी भी होनी चाहिए ताकि डेवलपर उसमें कोई बदलाव न कर सके। इस बात का ध्यान रखें कि एक बार कब्ज़ा मिल जाने के बाद आपको लोकेशन चार्ज, क्लब मेंबरशिप या कारपार्किंग  के नाम पर अलग  से पैसा न देना पड़े क्योंकि डेवलपर आपसे छिपाकर इस तरह का घालमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही उस प्रॉपर्टी पर आपको कितना टैक्स देना पड़ेगा, यह भी पता कर लें। 
खरीदते समय याद रखें
-प्रॉपर्टी का चयन-यह निर्धारित करना सबसे जरूरी है।
-प्री लांच प्रॉपर्टी की खरीदारी-यह प्रॉपर्टी बाजार के रेट से 10-15 प्रतिशत सस्ती होती है।
-ब्रोकर फीस-प्रॉपर्टी के हिसाब से होती है।
-खरीदारी के लिए बजट तैयार करना 
-शब्दों के जाल में फंसने की बजाय यह सुनिश्चित कर लें कि जो प्रॉपर्टी आप लेने जा रहे हैं, उसके लिए आपको कितना भुग तान करना होगा ।
-टोकन मनी -बुकिंग  तय होने पर इसका भुग तान करना होता है। प्रापर्टी की कीमत के हिसाब से 50,000 से पांच लाख के बीच हो सकती है।
-डाउन पेमेंट - निर्माणाधीन और तैयार फ्लैट्स के लिए डाउन पेमेंट की दर अलग  होती है।
-बैंक लोन - बैंक से लोन लेने की प्रक्रिया टोकन मनी देने से पहले ही पूरी कर लेनी चाहिए।
-कुछ विश्वसनीय बिल्डर्स का बैंक से समझौता होता है, जिसके चलते वह इस काम में आपकी मदद भी कर सकते हैं।
-प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन-डाउन पेमेंट और बैंक लोन के बाद प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन करा लें ।
-फ्लैट का कब्ज़ा -सभी सुविधाओं को जांच लें।
-बिल्डर द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं 
-यह देख लें कि बिल्डर बाद में कि तने समय तक किसी सेवा के लिए जि़म्मेदार होगा । हाउसिंग  सोसाइटी का निर्माण सोसाइटी एक्ट के तहत बिल्डर सोसाइटी का निर्माण कराते हैं।
क्या आप जानते हैं
डिलीवरी की तारीख
बिल्डर के लिए यह अनिवार्य होता है कि वह अपार्टमेंट की बुकिं ग  के समय खरीदार के करार में डिलीवरी की तारीख का वर्णन करें। लेकिन बिल्डर को किसी भी देरी के लिए कुछ भुग तान करना होगा यह शर्त में अनिवार्य नहीं होता।
निश्चित मुआवजा
बहुत से ऐसे मामले हैं जिनमें बिल्डर ने प्रोजेक्ट में देरी की और खरीदने वाले को अधर में लटका दिया। यदि आप चाहते हैं कि आपको किसी भी देरी के लिए मुआवज़ा मिले तो डिलीवरी तारीख की शर्त के साथ मुआवजे की शर्त को भी करार में शामिल करें।इस बात को उस वक्त भी दिमाग  में रख सकते हैं जब आप बिल्डर का चुनाव करते हैं। याद रखें यह तभी लागू  होगा जब बुकिंग  प्रोजेक्ट के सॉफ्ट लॉन्च के दौरान की गई हो। प्रोजेक्ट की औपचारिक घोषणा के पहले की स्थिति इसके तहत आती है। सामान्य रूप से बिल्डर इस दौरान छूट भी देते हैं।
कितना मुआवजा होगा ठीक ?
मुआवजे की ग णना करने के दो रास्ते हैं। पहला यह कि मुआवजा फ्लैट के किराये के लग भग  बराबर होना चाहिए। दूसरा तरीका यह होता है कि मुआवजा 5 से 7 रुपये प्रति वर्ग  फीट होना चाहिए।होम लोन लेने से पहले पूरे खर्च का आकंलन करना ज़रूरी है। इसके लिए बैंक चुनते समय ज्यादातर ग्राहक  अपना ध्यान सिर्फ ब्याज दर पर ही रखते हैं जबकि लोन के साथ कुछ दूसरे खर्च भी जुड़े होते हैं, जिनके बारे में भी जानकारी होना
ज़रूरी है-
एप्लीकेशन फीस
एप्लीकेशन फीस वह राशि है, जो लोन देने वाली कंपनी या बैंक लोन की एप्लीकेशन के साथ चार्ज करते हैं। कुछ बैंक, फीस के तौर पर निश्चित रकम लेते हैंं जबकि कुछ बैंक फीस के तौर पर कुल लोन अमाउंट का .5 प्रतिशत से .7 प्रतिशत अमाउंट लोन की एप्लीकेशन पर चार्ज करते हैं। यह अमाउंट आामतौर नॉन रिफंडेबल होता है।
प्रोसेसिंग  फीस
प्रोसेसिंग  फीस में डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन, क्रैडिट कैपेसिटी, प्रॉपर्टी की जांच और पहले किए ग ए लोन्स आदि से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए फीस ली जाती है। इसके लिए हर लोन कंपनी के पास लीग ल और फाइनेंस एक्सपटर््स समेत प्रशासनिक स्टॉफ की टीम होती है। 
कितनी राशि पर ब्याज
आज के दौर में बैंक कि सी भी प्रॉपर्टी के लिए शत प्रतिशत फाइनेंस नहीं कर रहे हैं। बल्कि वे प्रोजेक्ट की कंस्ट्रक्शन के अनुसार ही फाइनेंस क र रहे हैं। इसलिए पता कर लें कि अग र आपने दस लाख की एप्लीकेशन लग ाई है और बैंक ने साल भर तक आपको के वल चार लाख का लोन कि या तो क हीं वह शेष छह लाख पर तो कोई बयाज नहीं लग ाने जा रहा। अक्सर ब्याज के वल दिए ग ए धन पर ही लग ता है लेकिन कुछ संस्थान पूरे अमाउंट पर भी ब्याज चार्ज करते हैं। इसलिए इस बारे में बैंक या वित्तीय संस्थान से पहले ही जानकारी हासिल क र लें।
प्री पेमेंट पेनाल्टी
लोग  अपना लोन जल्द से जल्द चुकाना चाहते हैं। यदि उन्हें कहीं से कोई बड़ा अमाउंट मिलता है तो वे लोन चुकाने को वरीयता देते हैं। एक मुश्त भुग तान से बैंक को मिलने वाले ब्याज का नुकसान होता है, इसलिए 'यादातर बैंक इस पर पेनाल्टी चार्ज क रते हैं, जिसे प्री पेमेंट पेनाल्टी क हा जाता है। इसलिए जांच लें कि आपका बैंक भी तो आपसे एक मुश्त भुग तान की स्थिति में प्री पेमेंट पेनाल्टी चार्ज तो नहीं लेने जा रहा ।
दाम पता करें इस उम्मीद पर कि इंटरेस्ट रेट नहीं बढ़ेंगे, अमूमन लोग  फिक्स्ड रेट पर ही होम लोन लेना पसंद क रते हैं। फिक्स्ड रेट आमतौर पर फ्लोटिंग  रेट से 'यादा होते हैं। फिक्स्ड रेट पर लोन लेने वाले तमाम लोगों  की लोन रेट रिवाइज किए जाने की शिकायत रहती है। इससे कई बार फिक्स्ड रेट, फ्लोटिंग  रेट के बराबर या 'यादा हो जाते हैं। इसलिए लोन एग्रीमेंट  साइन करते समय ध्यान रखें कि बैंक फ्लोटिंग  रेट को रिवाइज करने जैसी शर्त तो नहीं रख रहा ।
ध्यान रखें
कुछ बैंक क स्टमर पर लीगल और टेक्निकल फीस जैसे चार्ज भी लग ाते हैं जबकि कुछ बैंक रजिस्ट्रेशन फीस और स्टाम्प ड्यूटी कस्टमर पर ही चार्ज करते हैं। इनके अलावा मेंटीनंस,फर्निशिंग  और वुड वर्क, प्रॉपर्टी टैक्स और एसोसिएशन की फीसआदि ऐसे तमाम खर्चे भी ज़रूरी हैं, जिनका ध्यान रखें।

ज्वाइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट

ज्वाइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट  आज कल लोकप्रिय हो चला है। यह ज़मीन के मालिक और बिल्डर्स दोनों के लिये फायदेमंद है। इसमें जहां एक ओर ज़मीन के मालिक को निर्माण के लिए रकम के इंतज़ाम और अन्य ज़रूरतों के लिए परेशान नहीं होना पड़ता, वहीं दूसरी ओर बिल्डर को ज़मीन मिल जाती है जिसे खरीदने के लिए उसे कोई रकम नहीं देनी होती है। 
+++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++प्रॉपर्टी  के सौदे में फायदे  को लेकर कई बातों पर ध्यान रखना ज़रूरी होता है। सामान्य तौर पर देखा जाता है कि जब आप  किसी रियल एस्टेट में निवेश के लिए प्लॉट खरीदते हैं। इससे मुनाफा कमाने के लिये आपको कुछ समय तक के लिये अपनी प्रॉपर्टी को होल्ड पर रखकर दाम बढऩे का इंतज़ार करना होता है। ऐसे देखा जाय तो खरीदी ग यी ज़मीन पर भी निर्माण कार्य करके भी अच्छा-खासा मुनाफा भी कमाया जा सकता है। इस बात के लिये प्रॉपर्टी के मालिक को इस बात के लिये ज़रूरी अनुमतियां लेने के साथ ही निर्माण की निग रानी करनी होती है। मुनाफा कमाने के लिये प्रॉपर्र्टी के मालिक के पास इन विकल्पों के साथ एक अन्य विकल्प भी है जो आजकल काफी लोकप्रिय हो रहा है, जिसे ज्वाइंट डेवलपमेंट एग ्रीमेंट (संयुक्त विकास अनुबंध)कहा जाता है। यह एग्रीमेंट बिल्डरों के साथ किया जाता है।  इस एग्रीमेंट  के अनुसार बिल्डर प्लाट पर फ्लैट बनाता है। इस निर्माण में साइट का एक हिस्सा मालिक के लिए अलग  रखा जाता है। बाकी का क्षेत्र या फ्लैट की बिक्री सीधे बिल्डर करता है। इससे दोनों ही पक्षों की ज़रूरतें पूरी होती हैं। इसमें जहां एक ओर ज़मीन के मालिक को निर्माण के लिए रकम के इंतज़ाम और अन्य ज़रूरतों के लिए परेशान नहीं होना पड़ता, वहीं दूसरी ओर बिल्डर को ज़मीन  मिल जाती है जिसे खरीदने के लिए उसे कोई रकम नहीं देनी होती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इस एग ्रीमेंट से रियल एस्टेट की कंपनियों को प्रोजेक्ट की लाग त में ज़मीन की कीमत का  खर्च बच जाता है। इससे बिल्डर की एक बड़ी रकम ब्लॉक नहीं होती और प्लॉट पर निर्माण की ग ति भी तेज़ रहती है। इस नियम में देखा जाय तो एक प्रकार से बिल्डर और साइट का मालिक संयुक्त उपक्रम के आधार पर साइट डेवलप करते हैं। इस लोकप्रिय प्रोसेस से साइट के मालिक को आमतौर पर 30 से 40 फीसदी हिस्सेदारी मिलती है और बाकी का बिल्डर के पास जाता है। इस प्रोसेस से लाभ के हिस्से का बंटवारा अनुबंध की शर्तों पर निर्भर करता है। संपत्ति के मालिक को बिल्डर के पक्ष में एक जनरल पावर ऑफ एटॉर्नी करनी होती है जिसे वह वापस नहीं ले सकता। जनरल पॉवर ऑफ एटॉर्नी को दोनों पक्षों के लिए कानूनी तौर पर बाध्य बनाने के लिये इसे उपयुक्त मूल्य के स्टॉम्प पेपर पर रजिस्ट्रार के पास पंजीकृत कराना होता है। निर्माणकर्ता को ज्वाइंट डेवलपमेंट एग ्रीमेंट के तहत दी जाने वाली इस तरह की जीपीए के लिए स्टाम्प ड्यूटी 1,000 रुपये होती है। यह स्टाम्प ड्यूटी अलग -अलग  राज्य में अलग  हो सकती है। जनरल पावर ऑफ एटॉर्नी(जीपीए)होने के साथ दोनों पक्ष ज्वाइंट डेवलपमेंट एग ्रीमेंट में शामिल हो जाते हैं, इसके बाद बिल्डर ज़रूरी अनुमतियां लेने के बाद ज़मीन पर निर्माण कार्य शुरू करता है। यदि बिल्डर वित्तीय या किसी अन्य प्रकार से अनुबन्ध का उल्लंघन करता है तो ज़मीन के मालिक के पास जीपीए को वापस लेने का अधिकार भी होता है और ज़मीन पर निर्माण पूरा होने तक प्रॉपर्टी की सुरक्षा का इंतजाम मालिक को भी करना होता है। प्रॉपर्टी एक्सपर्ट का मानना है कि इस प्रोसेस में  योजना को मंजूरी मिलने के बाद मालिक को अवाटंन अनुबन्ध (एलाकेशन एग्रीमेंट )करा लेना चाहिए। इस  एग्रीमेंट  में यह जानकारी होती है कि कितने क्षेत्र पर निर्माण किया जाएग ा और इसमें मालिक और बिल्डर का कितना हिस्सा होग ा। इमारत के तैयार होने और एलाकेशन एग्रीमेंट  हो जाने पर डीड ऑफ डिक्लेयरेशन कराना भी बेहतर होता है, जिसमें यह जानकारी होती है कि साइट के मालिक के लिए निर्माण ज्वाइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट के तहत हो रहा है। सामान्य तौर पर देखा जाता है कि निर्माणकर्ता इस बात पर जोर देते हैं कि मालिक उनके द्वारा चुने ग ए संभावित खरीदारों के पक्ष में एक सेल डीड जारी कर दे। इससे फायदा यह होता है कि ज्वाइंट डेवलपमेंट एग ्रीमेंट के तहत साइट का मालिक या उसके कानूनी वारिस उन्हें सौंपी ग ई निमिर्त प्रॉपर्टी को बेचने के हकदार होते हैं। मालिक निर्मित क्षेत्र में अपना हिस्सा रख सकता है और उसके पास इसे बाद में बेचने का विकल्प भी मौजूद रहता है। ज्वाइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट  उन लोगों  बेहतर बेहतर होता है, जिनके पास ज़मीन तो मौजूद है लेकिन उनकी वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं है कि वे उस पर निर्माण कार्य कर सकें। इसके लोकप्रिय ज्वाइंट डेवलपमेंट एग ्रीमेंट के जरिये वे बिना कुछ खर्च किए ज़मीन पर निर्माण करवा सकते हैं। इसमें उन्हें अपनी ज़रूरत  की जगह  पर रहने के लिए तैयार फ्लैट भी  मिल जाता है और साथ कई अन्य अधिकार भी उनके पास होते हैं।