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बुधवार, 21 जनवरी 2015

यह भी जाने

 होम लोन के साथ भी कुछ ऐसे खर्च जुड़े होते जिसे समझना ज़रूरी  हैं। बेहतर होगा कि लोन की डील फाइनल करने से पहले इन खर्चों पर बारीक निगाह डाल ली जाए -होम लोन लेते वक्त केवल इंटरेस्ट रेट्स को ही दिमाग में नहीं रखना चाहिए, बल्कि इससे जुड़ी कई अन्य खर्चों पर भी नज़र डाल लेनी चाहिए। लोन लेने से पहले भी भरपूर होमवर्क करने की जरूरत होती है। सबसे पहले विभिन्न फाइनैंसर्स के लोन ऑफर्स की तुलना करें। साथ ही लोन से जुड़े अन्य चार्जेज और पेनल्टीज पर भी नज़र डाल लें। कई बार फिक्स्ड रेट फ्लोटिंग रेट के बराबर या ज्यादा हो जाते हैं, इसलिए लोन अग्रीमेंट करते वक्त इस बात का ख्याल रखें कि बैंक फिक्स्ड रेट को रिवाइज किए जाने जैसी शर्तें तो नहीं रख रहा है। 


आइए, डालते हैं होम लोन से जुड़े कुछ खर्चों पर एक नजर-
एप्लिकेशन फीस-
लोन देने वाली कंपनियां आमतौर पर लोन ऐप्लिकेशन के साथ फीस चार्ज करती हैं। यह छोटा.सा अमाउंट होता है, जो आमतौर पर नॉन रिफंडेबल होता है।
प्रोसेसिंग फीस-
इसमें डॉक्युमेंट वेरीफिकेशन, क्रेडिट क्षमता, प्रॉपर्टी की जांच और पहले लिए गए लोन्स आदि से जुड़ी इन्फॉर्मेशन कलेक्ट करने के लिए फीस चार्ज की जाती है। इस काम के लिए हर लोन कंपनी के पास लीगल एक्सपर्ट्स, फाइनैंस एक्सपर्ट्स सहित एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ की पूरी टीम होती है।
अप्राप्त धन पर ब्याज-
लोन की पूरी रकम कोई भी बैंक एक साथ नहीं देता। यह रकम किस्तों में दी जाती है। अक्सर ब्याज केवल दिए गए धन पर ही लगता है, लेकिन कुछ बैंक पूरे अमाउंट पर भी ब्याज चार्ज करते हैं। अगर आप बिना मिले धन पर ब्याज न देना चाहें, तो इस बात के बारे में बैंक से पहले ही पता कर लें।
प्री  पेमेंट पेनल्टी-घर से हर व्यक्ति का भावनात्मक रिश्ता होता है। इसी वजह से ज्यादातर लोग अपना होम लोन जल्द से जल्द चुका देना चाहते हैं। यदि उन्हें कहीं से बड़े अमाउंट में पैसा मिलता है, तो वे अपने लोन्स चुकाने को वरीयता देते हैं। एकमुश्त भुगतान से बैंक को मिलने वाले ब्याज का नुकसान होता है, इसलिए ज्यादातर बैंक इस पर पेनल्टी चार्ज करते हैं। इसे प्री . पेमेंट पेनल्टी कहते हैं।
फिक्स्ड रेट्स-
इस उम्मीद के साथ कि इंटरेस्ट रेट्स नहीं बढ़ेंगे, अमूमन लोग फिक्स्ड रेट्स पर ही होम लोन लेना पसंद करते हैं। फिक्स्ड रेट्स आमतौर पर फ्लोटिंग रेट्स से ज्यादा  होते हैं। फिक्स्ड रेट पर लोन लेने वाले तमाम लोगों की लोन रेट रिवाइज किए जाने की शिकायत रहती है। इससे कई बार फिक्स्ड रेट फ्लोटिंग रेट के बराबर या 'ज्यादा  हो जाते हैं, इसलिए लोन अग्रीमेंट करते वक्त इस बात का ख्याल रखें कि बैंक फिक्स्ड रेट को रिवाइज किए जाने जैसी शर्तें तो नहीं रख रहा है।
अन्य फीस-
कुछ बैंक लीगल फीस और टेक्निकल फीस जैसे चार्जेज भी कस्टमर पर लगाते हैं। कुछ बैंक रजिस्ट्रेशन फी और स्टाम्प ड्यूटी कस्टमर पर ही चार्ज करती हैं। इनके अलावा मेंटेनेंस, फर्निशिंग और वुड वर्क्स, प्रॉपर्टी टैक्स और असोसिएशन फी आदि ऐसे तमाम खर्चे भी जरूरी हैं, इसलिए अपने बजट को दिमाग में रखकर ही लोन के लिए अप्लाई करें।