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गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

न्यूसचवसंते किला,(Neuschwanstein Castle) जहां नाटकों के पात्र दीवारों पर बोल उठते हैं.......

मुकेश  कुमार झा
न्यूसचवसंते किला  जर्मन ऐतिहासिक स्वरूप का जीता-जागता उदाहरण प्रस्तुत करता है।  यह मध्यकालीन जर्मनी के रहन-सहन, सभ्यता और संस्कृति और कला के वैभवपूर्ण रूपों को दर्शाता है। खासकर, यहां के प्रसिद्ध ओपेरा हाउस लोवेनग्रिन का स्पष्ट छाप इसके स्वरूप पर दिखता है। ओपेरा हाउस के जीवंत स्वरूप  और इसके पात्र को यहां के वास्तुकला पर स्पष्ट प्रभाव है। मध्यकालीन जर्मनी के रोमांटिक कहानियों के पात्र को यहां के कक्षों के दीवारों पर स्थान मिला है। राजा लुडविग की सोच से यह किला प्रभावित है। यह स्थान प्राकृतिक सौन्दर्य के तत्वों से भरपूर,घाटियों की दुनिया को एक अनोखा अंदाज़ दे रहा है। 
यह जर्मनी का प्रसिद्ध किला है। यहां पर प्राकृतिक सौन्दर्य और विलक्षण वास्तुकला का अनोखा संगम दिखता है। किला जर्मनी के बवेरिया राज्य में स्थित है। यह स्थान बवेरिया के दक्षिण-पश्चिम के फुसेन(fussen)भाग के होहेंस्चवान्गाऊ (Hohenschwangau) गांव में है। इसका निर्माण कार्य 5 सितम्बर, 1869 को शुरू किया गया था। यह किलानुमा पैलेस पर लुडविग द्वितीय का अधिकार था। उन्होंने इसका निर्माण रिचर्ड वाग्नेर को श्रंद्धाजलि के याद के रूप में करवाया था। पैलेस को एकांतप्रिय राजा लुडविग का इरादा  व्यक्तिगत शरण के रूप में बनाने का था। लेकिन जब तब इसका पूरा निर्माण हो पाता, उससे पूर्व ही राजा की मृत्यु हो गई। लुडविग की मृत्यु के बाद उन्हें श्रद्धांजलि के लिए पैलेस को खोल दिया गया। तब से अब तक करीब 60 मिलियन से ज्यादा लोग इस अनोखे किलानुमा पैलेस को देखने आ चुके हैं। यह स्थान कितना प्रसिद्ध है, यह बात इससे सिद्ध हो जाती है कि यहां पर प्रत्येक साल करीब 1.3 मिलियन से भी ज्यादा लोग आते हैं। खासकर, गर्मी के मौसम में इसे देखने करीब 6 हज़ार लोग प्रतिदिन आते हैं। कई प्रसिद्ध फिल्मों में इस खूबसूरत पैलेस के दृश्य का फिल्माकंन हो चुका है। इसका निर्माण न्यू रोमन स्थापत्य शैली में किया गया है। इस किला के आर्किटेक्ट से प्रभावित होकर हॉलैंड के 
डिज़नीलैंड्स  स्लीपिंग ब्यूटि कैसल  (Disneyland’s Sleeping Beauty castle) का निर्माण किया गया। 
 स्थिति 
यह किला जर्मनी के वाबेरिया राज्य के दक्षिण-पश्चिम में स्थित द म्यूनिसिपिलीटी  ऑफ स्च्वान्गाऊ के इलाके में 800 मीटर के झुकाव में स्थित है।  इसके चारों ओर अल्पाइन पेड़ों के पहाडिय़ों से घिरा हुआ है। यह स्थान ऑस्ट्रिया के दक्षिणी सीमा से नज़दीक है। इसका पहाड़ी रूप उत्तर की ओर इस प्रकार से  है कि देखने में समतल मालूम होता है। यहां के गांव से मध्यकाल के समय तीन किले को गांव से आसानी से देखा जा सकता था। इन तीनों किले में से एक का नाम स्चवांसतें कैसल था।  1832 ई. में राजा लुडविग के पिता मैक्सिमिलीयन  द्वितीय ने यहां पर एक खंडहर खरीदा, जिसे बाद में  न्यू गौथिक शैली में रूपांतरित करके एक सुन्दर रूप दिया। न्यू गौथिक शैली में बना इस किले का नाम होहेंस्च्वान्गाऊ कैसल (Hohenschwangau Castle) नाम दिया गया। 
 वर्ष 1837 समाप्त होते-होते यह पैलेस उनके परिवार का समर रेसीडेंस बन गया। मैक्सिमिलीयन का बड़ा पुत्र लुडविग का इस स्थान पर बचपन बीता।  वॉरदरहोहेनसचवान्गाऊ कैसल (Vorderhohenschwangau Castle)और हिनतेरहोहेनसचवान्गाऊ कैसल (Hinterhohenschwangau Castle)  दो प्रमुख किले हैं।  यह किले को देखने में ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे वह ऊबर-खाबड़ पहाड़ी के बिहड़ में दो झीलों (अल्पसी और स्चवांसी)के आस-पास अनदेखी पहाड़ी पर खूबसूरत अंदाज़ में बैठ गया हो। यह दोनों किले एक खाई से अलग-अलग देखने में लगता है लेकिन यह संयुक्त रूप से एक हॉल जैसा बन गया है, जो यहां के टॉवर हाउस 
को सुदृढ़ता प्रदान करता है। 
निर्माण
इस किला की नींव 5 सितम्बर, 1869 ई. में रखा गया था। 1872 ई. में इसके तहखाना का निर्माण हो चुका था और 1876 में किले के प्रथम तल का निर्माण कार्य समाप्त किया गया। यहां पर सर्वप्रथम गेटहाउस का निर्माण हुआ। वर्ष 1873 के अंत तक आते-आते यहां पर  लुडविग के रहने के लिए पूरी तरह से व्यवस्था करने के लिए एक बेहतर कक्ष का निर्माण कार्य किया जा चुका था। क्योंकि लुडविग की ईच्छा थी कि आगे के निर्माण कार्य को उनके देखरेख में ही संपादित किया जाय। 1874 में निर्माण कार्य की जि़म्मेदारी एडवर्ड रीडेल से लेकर गेयोर्ग वॉन डॉल्लमंन को सौंप दी गई। यहां पर एक समारोह का आयोजन वर्ष 1880 में किया गया था। राजा चाहते थे कि वर्ष 1984 में नयी बिल्डिंग का निर्माण हो जाय। इस कार्य में शायद कुछ रूकावट आने के कारण राजा ने निर्माण कार्य की जिम्मेदारी गेयोर्ग वॉन डॉल्लमंन के हाथ से लेकर जूलियस हॉफ्मन को सौंप दी । इस किलानुमा पैलेस को पुरानी पद्धति के अनुरूप से बने ईंटों से खड़ा किया गया। बाद में इसकी मज़बूती को बेहतर बनाने के लिए कई प्रकार के चट्टïानों के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया। उजला चूना पत्थर से इसके मुख्य भाग बनाए गए, जो कहीं पास के खदानों से लाया गया था। किले की खिड़कियों और दरवाजे के निर्माण में बालू पत्थर से बने ईंटों का इस्तेमाल किया गया। यह सैंड स्टोन ब्रिक्स  वर्टेमवर्ग (Wurttemberg) से लाया गया था । उंटेर्सबर्ग के सॉल्ज़बर्ग संगमरमर के पत्थर मंगवाए गए थे। इन खूबसूरम पत्थर से खिड़कियों के मेहराव, पसलियां और कॉलम बनाए गए थे। बाद में एक योजना के तहत सिंहासन कक्ष को स्टील फ्रेमवर्क के सहारे सुन्दर रूप प्रदान किया गया। बिल्डिंग मैटेरियल को स्टीम क्रेन के सहारे मचान बनाकर रखा जाता था, जिसे बाद में साइट के स्थानों पर ले जाया जाता था। इस किलेनुमा महल के निर्माण के लिए वर्ष 1880 में करीब 200 शिल्पकार लगाए गए थे। निर्माण कार्य में बिल्डिंग मैटेरियल भेजने वाले और अन्य सहयोगी लोगों की गिनती ही नहीं थी। जब राजा ने किले के निर्माण को डेडलाइन दे दिया, तो उसके बाद प्रत्येक दिन 300 करीब वकरर्स प्रत्येक दिन काम करते थे। इन वकरर्स को कभी-कभी रात में बड़ी ऑयल लैंप की रोशनी में भी काम करना पड़ता था। यदि इसे बनाने में बिल्डिंग मैटेरियल की बात करें तो वर्ष 1889 से लेकर 1880 तक 513 टन सॉल्ज़बर्ग संगमरमर, 1550 टन सैंड स्टोन, करीब 4 लाख ईंट, 2,680 क्यूबिक यार्ड लकड़ी का इस्तेमाल किया गया। 
 आर्किटेक्चर
इस किलनुमा महल का वास्तु काफी मनमोहक है। विलक्षण वास्तु और सौम्यता इसे काफी अलग रूप प्रदान करता है।  हालांकि  इसके बाहरी और आन्तरिक स्वरूप में काफी दिखावटी भी है। लेकिन यह दिखावापन भी सुन्दर वास्तुकला का उत्कृष्टï नमूना पेश करता है।  किला इस प्रकार के स्वरूप में जो दिख रहा है, उसके पीछे कारण यह था कि राजा ने अपनी व्यक्तिगत पसंद के अनुसार उसका डिज़ाइन और साज-सज्जा बनवाया था। इसके आर्किटेक्ट का इतिहास को देखें तो स्पष्ट है कि राजा ने इसके निर्माण में कई ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किए हैं, जिससे साफ स्पष्टï है कि आर्किटेक्ट और इसके डिज़ाइन पर राजा की सोच का स्पष्ट प्रभाव था। इसके दीवारों के भित्ति चित्रण में लोवेनग्रिन शैली का भरपूर प्रयोग किया गया था। राजा की ईच्छा थी कि जहाज के स्वरूप को किनारे से दूर रखा जाय और उसके ऊपरी भाग में लोवेनग्रिन शैली के हिसाब से कम अलंकृत किया जाय । जहाज के ऊपरी भाग या आगे के भाग में अलंकृत सोने से बने हंस को जहाज की चेन से जोड़ा जाए न कि गुलाब रूपी आकार से। इसके अनुरूप ही इसका डिज़ाइन बना। और अंतत: किलानुमा पैलेस का आर्किटेक्ट पर मध्यकालीन युग के वास्तुशैली का स्पष्टï प्रभाव देखा गया। पैलेस के सिंहासन रूम के अंदर ही बेहतर साज-सज्जा से भरपूर सूइट रूम है। इसे लुडविग सूइट रूम की संज्ञा दी जाती है। इस रूम की भव्यता देखते ही बनती है। यहां पर गायकों के लिए सिंगर्स हॉल और एक गुफानुमा घर भी है। इसका पूरा डिज़ाइन प्रसिद्ध रचना स्वान नाइट की कहानी के इर्द-गिर्द घूमती है। इसका डिज़ाइन प्रसिद्ध जर्मन ओपेरा लोवेनग्रिन नामक नाटक घर ( ओपेरा हाउस) पर आधारित है। इस जर्मन लैजेंड ओपेरा हाउस के रंग-रूप और स्वरूप के यादगार के पल को जीवंत रूप का दर्शन यहां के आर्किटेक्ट और डिज़ाइन में दिखता है। चूंकि होहेंस्चवान्गाऊ पैलेस में राजा लुडविग की जवानी का काफी समय बीता था, इसलिए इसके साज-सज्जा पर  वीर गाथा का स्पष्ट प्रभाव देखने को मिलता है। 
खासकर, प्रसिद्ध रचनाकार रिचर्ड वाग्नेर का ओपेरा हाउस में चलने वाले नाटकों का थीम को मुख्य रूप से लिया गया है। लोवेनग्रीन एक प्रकार का रोमांटिक ओपेरा हाउस था, जहां पर रिचर्ड वाग्नेर की तीन प्रसिद्ध नाटक खेले जाते थे। इन नाटकों के रचनाकार रिचर्ड स्वयं थे। उन्होंने इन नाटकों में जो पात्र लिया था, वह सभी मध्यकालीन जर्मनी के रोमांस की कहानी से प्रेरित था। खासकर,  पारजि़वाल ऑफ वुल्फ्रेम वॉन एशेन्बक नामक रचना के पात्र भी इसी रोमांटिक कहानी से प्रभावित था। बाद में लोवेनग्रिन ओपेरा हाउस में चलने वाले नाटक के कई सीक्वल भी आए, जिसे विभिन्न लेखकों ने लिखा था। गेरिन ले लोहेरायण नामक काव्य का प्रभाव भी इन रचनाओं पर पड़ा था।  खासकर, प्रसिद्ध रचना नाइट ऑफ द स्वान के टे्रडीशनल रूप और पात्र की झांकी स्पष्टï रूप से दृष्टिïगोचर होता है। वाग्नेर की रचना और उसके नाट्यमंडली के स्वरूप का जबरदस्त प्रभाव को लुडविग ने आर्किटेक्ट के रूप में यहां ढाला था। लुडविग के निधन के कारण यहां पर मात्र 14 कक्षों का ही साज-सज्जा हो पाया, कई कक्ष सज्जाहिन ही रह गया । समय के साथ यह किलानुमा पैलेस अपने अंदर कई वक्तों के दौर को देखा और परखा है। समय के साथ इसके रूप और रंग में कई परिवर्तन होते चले गए। वर्तमान में यह किलानुमा पैलेस जर्मनी के अभूतपूर्व गौरव और राजा-महाराजाओं की रहन-सहन और सोच को दर्शाता है।