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शुक्रवार, 5 दिसंबर 2014

दाखिल-खारिज है बेहद ज़रूरी



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 मुकेश कुमार झा++++++++++++++++++++



प्रॉपर्टी खरीदने के समय म्यूटेशन या दाखिल-खारिज ज़रूरी है। दाखिल-खारिज शब्द से जैसा बोध होता है कि एक की संपत्ति को दूसरे व्यक्ति के नाम कानूनी रूप से संपत्ति का मालिकाना हक देना होता है। प्रॉपर्टी के मालिकाना हक को सुदृढ़ करने में दाखिल-खारिज या म्यूटेशन की भूमिका काफी अहम होती है। इसकी सहायता से आप ज़मीन के असली हकदार बनते हैं। कानूनी तौर पर देखा जाय तो म्यूटेशन या दाखिल-खारिज से अपनी प्रॉपर्टी के रिवेन्यू रिकॉर्ड्स में प्रॉपर्टी के टाइटिल के मालिक का नाम बदलने से है। प्रॉपर्टी टैक्स को अदा करने में इस प्रक्रिया का अहम् योगदान भी होता है। इसलिए प्रॉपर्टी खरीदने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों को आप यदि ध्यान में रखते हैं, तो प्रॉपर्टी का भविष्य और वर्तमान दोनों ही दुरूस्त रहते हैं। आपको हम यहां बताने जा रहे हैं कि किस प्रकार से प्रॉपर्टी के म्यूटेशन या दाखिल-खारिज से आपकी प्रॉपर्टी की दुनिया संवर सकती है। 

स्टेप 1-
अगर आपको अपनी प्रॉपर्टी के टाइटिल को अन्य व्यक्ति के नाम दर्ज कराना हो तो आपके इसके लिए जिस इलाके की ज़मीन है, उस इलाके के तहसीलदार को प्रार्थना पत्र देनी होगी। इसके बाद इसे एक सादे कागज़ पर  लिखकर नॉन जुडीशियल स्टाम्प्स के साथ तहसीलदार के पास जमा कराना होगा। प्रार्थना पत्र में दोनों पक्षों के नाम और प्रॉपर्टी की लोकेशन जैसी ज़रूरी बातें ज़रूर लिखी होनी चाहिए। 
स्टेप 2-
इस प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रॉपर्टी के बारे में विस्तृत जानकारी रखें। मसलन, प्रॉपर्टी किस तरह की है और किस इलाके में है?  प्रॉपर्टी का मालिकाना हक किस कानून के तहत बदला गया? इसमें दोनों पक्षों के नाम, पिता का नाम और पूरे पते भी दर्ज करने होंगे। ध्यान देने वाली बात यह है कि आपको यह भी पता होना चाहिए कि प्रॉपर्टी का हक किस तारीख को बदला गया। इनके अलावा, उन तमाम कागजात की एक कॉपी भी देनी होगी, जिनके आधार पर म्यूटेशन के लिए प्रार्थना पत्र दी रही है। इस प्रक्रिया में कुछ महत्वपूर्ण कागज़ों में सेल डीड या वसीयत आदि भी आते हैं। आपको ट्रांसफर ड्यूटी के रूप में कुछ रकम भी चुकानी होगी। अगर कुछ हिस्से का म्यूटेशन कराना है, तो उतने की फीस चुकानी पड़ेगी, जबकि पूरी प्रॉपर्टी बेचने पर पिछला बकाया और पूरे हिस्से पर लागू फीस देनी होगी। 
स्टेप-3
प्रॉपर्टी की दाखिल-खारिज करने से जहां म्यूनिसिपल रिकॉर्ड्स बन जाते हैं, वहीं प्रॉपर्टी टैक्स आदि जमा करने में कोई दिक्कत नहीं होती है। गौरतलब है कि जब आप प्रार्थना पत्र देते हैं, तो उसके बाद सरकारी विभाग की तरफ से एक इश्तहार दिया जाता है। इस इश्तहार में पूछा जाता है कि इस नाम परिवर्तन को लेकर किसी को कोई आपत्ति तो नहीं है?। पूरी जांच के लिए कम से कम 15 दिन का समय दिया जाता है। 15 दिन के  बाद किसी आपत्ति पर ध्यान नहीं दिया जाता है। यह प्रक्रिया समाप्त होने पर पटवारी अपनी रिपोर्ट जमा कर देता है। रिपोर्ट से पहले दोनों पक्षों का बयान लेकर उसका मिलान कागजात में दर्ज तथ्यों से किया जाता है। इस प्रक्रिया में कोई रूकावट आती है या किसी व्यक्ति के द्वारा आपत्ति दर्ज की जाती है तो इस मामले को इलाके के रिवेन्यू असिस्टेंट ऑफिसर के पास सुनवाई के लिए भेज दिया जाता है। अगर कोई पक्ष रिवेन्यू असिस्टेंट ऑफिसर के फैसले से असंतुष्ट रहता है, तो वह आदेश जारी होने के 30 दिनों के अंदर एडिशनल कलेक्टर (डिप्टी कमिश्नर) के पास अपील कर सकता है। 
 स्टेप-4
यहां सबसे महत्वपूर्ण बात आप यदि आप प्रॉपर्टी बेच रहे हैं या टाइटिल किसी और के नाम पर ट्रांसफर कर रहे हों तो यह सूचना नज़दीक के म्यूनिसिपल ऑफिस को ज़रूर दें। क्योंकि जब तक प्रॉपर्टी आपके पास रही थी, तब तक आपने प्रॉपर्टी के टैक्स भरते होंगे और बेचने के बाद दूसरा पक्ष को टैक्स अदा करनी होगी। यदि इस दौरान अगर प्रॉपर्टी टैक्स आदि में बढ़ोतरी होती है या कोई बकाया रह जाता है, तो इसकी देनदारी दूसरे पक्ष यानि प्रॉपर्टी लेने वाले व्यक्ति को अदा करनी होगी। यहां एक बात और बहुत ही महत्वपूर्ण है कि जैसे ही आप प्रॉपर्टी खरीदें तो अपनी तरफ से सुनिश्चियत कर लें कि जिस व्यक्ति से आप प्रॉपर्टी खरीद रहें है, वह पिछला सभी बकाया चुका दिया है या नहीं। ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर प्रॉपर्टी टैक्स अदा करने वाले की मृत्यु हो जाती है, तो उसके बाद प्रॉपर्टी जिस व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर होती है, उसे मृत्यु के छह महीने के अंदर इसकी सूचना म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन को देनी होगी। तभी, म्यूटेशन या दाखिल-खारिज हो सकेगा। 
 स्टेप-5
यदि प्रॉपर्टी का कुछ हिस्सा बेचा गया हो, तो इस हिस्से का भी म्यूटेशन हो सकता है, बशर्ते उस हिस्से पर लागू सभी बकाया और निर्धारित फीस चुकाई जाए। इसी तरह, उत्तराधिकार के नियमों के तहत अगर कोई प्रॉपर्टी सभी कानूनी उत्तराधिकारियों के नाम ट्रांसफर होती है, तो इन सभी के नाम म्यूटेशन तभी होगा, जब उनके हिस्सों पर लागू सभी टैक्स चुका दिए जाएं। 
म्यूटेशन या दाखिल-खारिज के महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्स 

- सेल डीड की कॉपी 
- नॉन जुडीशियल स्टाम्प्स के साथ एप्लिकेशन 
- निर्धारित रकम के स्टाम्प पेपर पर इंडेम्निटी बॉन्ड 
- निर्धारित रकम के स्टाम्प पेपर पर एफिडेविट 
- प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें 
- असली मालिक का मृत्यु प्रमाणपत्र, वसीयत या उत्तराधिकार प्रमाणपत्र 
- रजिस्टर्ड पावर ऑफ अटर्नी की कॉपी, पेमेंट की रसीदें 
- अन्य कानूनी उत्तराधिकारियों की तरफ से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) 
- प्रॉपर्टी का नक्शा 

इंटीरियर ट्रेंड-शीशा

मुकेश कुमार झा  +++++++++++++++
शीशे के बिना बिल्डिंग्स की सुन्दरता की कहानी अधूरी रह जाती है। इससे बिल्डिंग का ऊपरी संरचना हो या आंतरिक संरचना दोनों खिल उठता है। यह घर हो या ऑफिस हर जगह यह अपनी एक अलग छाप छोड़ता है। बड़े-बड़े कॉरपोरेट सेक्टर के ऑफिस इसके सहारे ही एक बेमिशाल रूप पैदा करता है। 


                                                                                                                                                                   शीशा का जिक्र करते ही इसकी संरचना और इसके आविष्कार के विषय में जानने की इच्छा होने लगती है। रेत और कुछ अन्य सामग्री को पिघलाकर शीशे यानि कांच का निर्माण किया जाता है। आज से करीब ढाई हजार ईसा पूर्व कांच का आविष्कार मिस्त्र या मैसोपोटामिया में हुआ था। पहली शताब्दी आते-आते फलस्तीन और सीरिया में एक खोखली छड़ में फूंक मारकर पिघले कांच को मनचाहे रूप में ढालने की कला विकसित हुई। शीशा का प्रयोग आज ही नहीं बल्कि विगत कई वर्ष पूर्व से ही देखने को मिलता है। जिसका उदाहरण फिल्म मुगले-ए-आजम, प्यार करना तो डरना क्या, जरूर याद होगा साथ ही शीशमहल    का वो सेट भी जहां पर मधुबाला पर यह गीत  ...प्यार कि कोई चोरी नहीं की,  छूप -छूप कर आहें भरना क्या, फिल्माया गया था। पीरियड मूवी जोधा अकबर, जिसकी सेट की भव्यता का बड़प्पन प्रत्येक दर्शकों के जुबान पर थी। इस मूवी में   सेट  को बनाने में 22,12,221 कांच टुकड़ों   और आइनों का प्रयोग किया गया है। इस फिल्म    के प्रोमो में कांच के द्वारा की गयी फीनिशिंग की भव्यता देखने लायक थी। कांच के  मनचाहे रूप में ढालने की कला  से प्रभावित होकर, इसका प्रयोग प्रत्येक घरों में किया जाने लगा। 
हर घर में शीशा के लिए जगह निश्चित होती है। क्योंकि शीशा की खासियत है कि   बिना कुछ बोले ही बहुत कुछ बोल जाता है। वर्तमान   के बदलते दौर में शीशा का प्रयोग तेजी से बढ़ा है। क्योंकि यह सस्ता और खूबसूरत होने के साथ इसे आसानी से एक-जगह से दूसरे स्थान पर ले जाने में लोगों को ज्यादा कठिनार्ई का सामना नहीं  करना पड़ता है। यही कारण है कि इसके कई गुणों के कारण लोग फर्नीचर और अन्य चीजों की अपेक्षा शीशा का प्रयोग करना ही बेहतर समझते हैं। वहीं आज कल घर को आकृष्टï रूप देने के लिए अधिकांश जगह शीशों का प्रयोग देखने को मिलते हैं। जहां कुछ समय पहले शीशे का इस्तेमाल वॉश रूम और ड्रेसिंग टेबल के रूप में किया जाता था। वहीं अब इसका प्रयोग घर को आकृष्टï रूप देने के लिए  इसका प्रयोग इंटीरियर डिज़ाइन में भी धड़ल्ले से किया जाने लगा है।
आइए जानते हैं कैसे शीशा से अपने घर में चार चांद लगाया जा सकता है—
1. अगर आपके पास घर में जगह की कमी है और आप चाहते हैं कि अपने घर के लुक को बड़ा आकार दें तो शीशे का प्रयोग कर घर को बड़ा दिखा सकते हैं।
2. अगर आपके कमरे में अगर कोई अलमारी रखी हो, जिसपर कि कांच के बने सजावटी सामान भी हो तो उसके पीछे की तरफ से शीशा  लगाएं। ऐसा करने से आपके कमरे की सुदंरता  और बढ़ जाएगी।
3.आप अपने डाइनिंग रूप में भी शीशे का प्रयोग  कर सकते हैं। डाइनिंग रूम में शीशे का  प्रयोग करते समय इस बात का ख्याल रखें  कि जब भी आप शीशा  का प्रयोग करें, उसे ठीक सामने लगाएं। ऐसा करने से आपके रूम में रोशनी बढ़ जाएगी। 
4. इंटीरियर डिज़ायन में  भी इसे खास तवज्जों दी जाती है। शीशे के सहयोग से घर निखारने में सबसे ज्यादा मदद करता है उसका फ्रेम। शुरूआत में जहां लकड़ी के फ्रेम में ही शीशा पाया जाता था। वहीं अब बाजार में यह कई तरह के फ्रेम में उपलब्ध हो रहा है। इन फ्रेमों से शीशे में एक नयी जान आ जाती है। साथ ही यह आपके कमरे को एक नया लुक देने में भी मदद करता है। आजकल मार्केट में लाजवाब लहर के कटे शीशे भी उपलब्ध हैं, जो घर की सुन्दरता को बरकरार रखने में मदद करता है। 
5.शीशा का महत्व तब और बढ़ जाता है जब इनके सामने कोई फूलों का पौधा रखा हो। इससे घर डिसेंट लुक में दिखाई देगा। 
6.रोशनी की प्रतिबिंबत करने की क्वालिटी  के कारण यह घर  की चमक निखारने के  साथ ही आपके घर में गजब इफेक्ट पैदा करता है।