Hut Near Sea Beach

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House Boat

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Poly House

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Lotus Temple Delhi

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Enjoy holiday on Ship

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मंगलवार, 31 मार्च 2015

रियल्टी हब दिल्ली -एनसीआर

रियल्टी हब के रूप में प्रसिद्ध दिल्ली एनसीआर रहने और निवेश दोनों के हिसाब से बेहतर है। एनसीआर के कई क्षेत्रों ने बेहद कम अवधि में भी रियल्टी सेक्टर के इन्वेस्टर्स को अ'छे रिटर्न दिए हैं। यह स्थान प्रगति के पथ पर अग्रसर है। निर्माण की दुनिया में नित नई इबारत लिखने वाला यह स्थान बहुत कम समय में रियल एस्टेट के लिए नज़ीर बन कर उभरा है। देश के नामी-गिरामी डेवलपर्र्स यहां पर डेवलपमेंट कर रहे हैं। आइए नज़र डालते हैं यहां के प्रमुख स्थानों पर। 
गुडग़ांव-यह स्थान रियल एस्टेट के हब के रूप में उभरा है। यहां पर कई ऑप्शंस उभरे हैं। यहां हाई एंड यूजर्स के लिए तो ऑप्शन की कमी न पहले कमी थी, न ही अब है। गुडग़ांव एक्सटेंंशन या न्यू गुडग़ांव जैसे इलाकों में लोअर मिडिल और मिडिल क्लास के हिसाब के भी काफी कुछ है। गुडग़ांव एक्सटेंशन या फिर न्यू गुडग़ांव स्थित प्रोजेक्टों में मिलने वाली सुविधाओं की बात करें तो, इनमें आपके लाइफ स्टाइल से सूट करतीं तमाम चीजें मुहैया कराई जा रही हैं। थीम्ड प्रोजेक्ट के रूप में आपके पास गोल्फ कोर्स का ऑप्शन है तो बेहतर और लग्जरीयस होम के रूप में विला और इंडिपेंडेंट फ्लोर आदि का। खरीददारों के एंगल से एक अच्छी  बात यह है कि यहां पर अन्य जगह की तरह प्रोजेक्ट्स को लेकर कोई विवाद भी नहीं है। ज्यादातर  प्रोजेक्ट  फ्रीहोल्ड ज़मीन पर हैं। 
गुडग़ांव
गुडग़ांव में लग्जरी प्रोजेक्ट की भी भरमार है। गुडग़ांव में ज्यादातर  प्रोजेक्ट्स कम से कम & बीएचके के ही दिखते हैं , लेकिन जो प्रोजेक्ट नए सेक्टरों में बन रहे हैं , या फिर जिनमें ज्यादा  फ्लोर बनाए जा रहे हैं , उनमें फिर भी रेट कम है। एनएच -8 के निकट स्थित इस प्रोजेक्ट में 2, & और 4 बीएचके के ऑप्शन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। धारुहेड़ा की ओर बढ़ जाएं तो अरावली हाइट्स हर पॉकेट को सूट करने वाला विकल्प है। 
ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन-यह स्थान रहने और निवेश के लिहाज से बेहतर इलाका है। इसका क्षेत्रफल चंडीगढ़ से भी तीन गुणा होगा। इलाके की विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चंडीगढ़ 114 वर्ग किमी क्षेत्र पर बसा हुआ है। ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन इलाके में ग्रेटर नोएडा, हापुड़, बुलंदशहर और सिकंदराबाद के 178 गांवों के हिस्से शामिल होंगे।  2021 तक इस इलाके में 12 लाख लोगों के रहने का अनुमान है। 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र का विकास इंटरनैशनल लेवल की चौड़ी सड़कों, अंडरग्राउंड केबलिंग और ड्रेनेज सिस्टम के साथ किया जा रहा है। यहां रहने वालों को ओपन स्पेस, सजे-संवरे लॉन और ड्राइविंग के लिए काफी चौड़ी सड़कें मिलेंगी। बिजली और पानी की बात करें, तो इन चीजों की भी चौबीसों घंटे आपूर्ति करने की प्लानिंग है। 
एनसीआर की सबसे बड़ी सबसिटी ग्रेटर नोएडा के तहत ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन का भी विकास किया जा रहा है। ग्रेटर नोएडा के सेक्टर 1, 2, &, 4 आदि इसके तहत शामिल किए गए हैं। करीब 58,000 हेक्टेयर में बसाई जा रही इस सब-सिटी में आने वाले समय में काफी संभावनाएं बताई जा रही हैं। यह इलाका डीएनडी
फ्लाईओवर और सिक्स-लेन ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस - वे के जरिये दिल्ली के बस आधे घंटे की ड्राइव पर है। 
बेहतर है नोएडा - एक्सपर्ट की राय में एनसीआर में नोएडा इलाके को बेहतर चाइस कहा जा सकता है। यह सब -सिटी भी लाइफ स्टाइल फैक्टर के हिसाब से बढ़ रही है। अथॉरिटी ने इसके लिए काफी इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराने की तैयारी की है। इसमें ट्रैफिक मैनेजमेंट से लेकर फ्लाईओवर, मेट्रो लाइन, पार्क, सड़कों को चौड़ा करना, पुल निर्माण आदि शामिल है। नोएडा अथॉरिटी ने एक्सप्रेसवे को चौड़ा करने, पुल और फ्लाईओवर आदि का काम शुरू भी कर दिया है। कई भीतरी और बाहरी सड़के चौड़ी की जा रही हैं। 
यही वजह है कि मिडिल क्लास की रोज बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कई डेवलपर्स उभरते हुए सेक्टरों में अपने प्रोजक्ट ले कर आ रहे हैं। ईस्टर्न पेरिफेरियल एक्सप्रेस - वे और यमुना एक्सप्रेस -वे आदि इस इलाके से लगते हुए एक्सप्रेस - वे हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा इलाके में इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता ही इलाके को एनसीआर के अन्य इलाकों से अलग बनाती है।
राज नगर एक्सटेंशन 
राजनगर एक्सटेंशन मध्य वर्ग की पहली पसंद बनकर उभर रहा है, इसकी एक बड़ी यह भी है कि यहां कीमतें लोगों की पहुंच में हैं। कनेक्टिविटी ने भी इस इलाके की डिमांड बढ़ा दी है। बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए प्राइवेट बिल्डरों ने अथॉरिटी से हाथ मिला लिए हैं और दोनों मिलकर अ'छे विकास को अंजाम दे पा रहे हैं। 
 यह स्थान एनसीआर में बजट होम के लिए प्रसिद्ध है। यहां का वातावरण और जलवायु दोनों ही काफी अ'छा है। यहां ओपन स्पेस बहुत बड़ा है। साथ ही हिंडन नदी का बाढ़ प्रभावित इलाका भी है, जहां कभी कन्सट्रक्शन नहीं होना है। इंडियन एयर फोर्स द्वारा जंगल डेवलप किया गया है। दूर-दूर तक कोई इंडस्ट्री नहीं है। यहां के पानी का टीडीएस बहुत कम है। कन्सट्रक्शन के लिए जो पानी की टेस्टिंग की गई थी, इसकी रिपोर्ट ड्रिंगकिंग वाटर की है। रेट के अनुसार यह स्थान एनसीआर में सबसे अ'छा है। यहां पर हर सेग्मेंट का फ्लैट है। यहां पर &1 डेवलपर्स तो एशोसिएशन के सदस्य हैं।  इतने ही बिल्डर्स और होंगे, जिन्होंने लैंड यहां पर खरीद ली है। यहां का यूएसपी कनेक्टिविटी है। इस स्थान का दिल्ली-मेरठ और हापुड की ओर आते हैं तो बेहतर एप्रोच है। मेट्रो भी अर्थला तक आ रही है, जो मुश्किल से &-4 किमी. की दूरी पर होगी। यह अभी प्रस्तावित है। यह स्थान रहने के लिहाज से एक बेहतर विकल्प के रूप में उभरा है। राजनगर एक्सटेंशन की सबसे बड़ी बात यह है कि यह फ्री होल्ड है। यह लीज होल्ड नहीं है। जैसा कि अथॉरिटी को कुछ स्थानों के ऊपर लीज होल्ड को लेकर समस्याएं आई थी, यहां ऐसी कोई बात नहीं है। यहां पर बिल्डर्स सीधे किसान से ज़मीन लेता है और जीडीए (गाजि़याबाद विकास प्राधिकरण)के नॉर्म को फॉलो करते हुए मैप सेक्शन करवाता है। इसका लोकेशन इसे खास बनाता है। राज नगर एक्सटेंशन नए मेरठ बाईपास पर स्थित है। बाईपास के निकट होने के कारण इसका सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि दिल्ली और दूसरे शहरों में आने जाने के लिए लोगों को मेरठ और गाजियाबाद के भीड़ वाले इलाके से नहीं गुजरना पड़ेगा। एक नजर डाली जाए तो दिल्ली और नोएडा पहुंचने में यहां से 15 मिनट, ग्रेटर नोएडा- &5 मिनट, वसुंधरा- 10 मिनट, इंदिरापुरम- 10 मिनट, वैशाली- 10 मिनट, मेरठ और हापुड़ 40 मिनटों में पहुंचा जा सकता है।  अफोर्डेबल होने के कारण  राजनगर एक्सटेंशन ऐसा डेस्टिनेशन बनता जा रहा है, जहां प्रॉजेक्ट्स मध्य वर्ग की जेब की पहुंच में हैं। यहां 1 बीएचके से & बीएचके तक मिल जाएंगे। इनकी रेंज 12 लाख से लेकर 40 लाख रुपये तक है। यहां जॉगिंग ट्रैक से लेकर एंटरटेनमेंट और शॉपिंग से संबंधी सभी सुविधाएं मुहैया होंगी। यूपी सरकार ने यहां गल्र्स हॉस्टल, वकेशनल कॉलेज, ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट बनाने की घोषणा भी की है। एक बड़ा स्कूल पहले ही शुरू हो चुका है। कई और डिवेलपर्स 
मिडल क्लास के लिए प्रॉजेक्ट लेकर यहां आ सकते हैं।
क्रॉसिंग रिपब्लिक- दिल्ली के आसपास घर चाहने वालों के लिए क्रॉसिंग्स रिपब्लिक एक बेहतर ऑप्शन है। यह इलाका न सिर्फ गाजि़याबाद के निकट है बल्कि नोएडा , ग्रेटर नोएडा और दिल्ली से भी अ'छी तरह जुड़ा है। यह लोकेशन एक तरह से लाइफ स्टाइल डेस्टिनेशन बन गया है। डिवेलपर्स यहां सही कीमतों पर तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावे करते हैं।  यहां अपार्टमेंट्स के साथ - साथ विला के आप्शंस भी हैं। इसका लोकेशन भी इसे खास बनाता है। इलाके के स्थिति की बात करें तो इसकी दूरी दिल्ली के रेलवे स्टेशनों या एयरपोर्ट वगैरह से उतनी ही है जितनी बाहरी या पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों की है। यह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से करीब 25-26 किमी , इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से &5 किमी और आनंद विहार बस अड्डे से 19-20 किमी है। इलाके के एन -24 के निकट स्थित होने के कारण कम्युनिकेशन की समस्या कम है। 
मॉडर्न लाइफ स्टाइल के लिहाज से देखें तो यहां सभी प्रकार की सुविधाएं हैं। हॉस्पिटल , स्कूल , पुलिस स्टेशन , होटल और कई मॉल फिलहाल बन रहे हैं। रेजिडेंशल कॉम्पलेक्स में डिवेलपर जिम , क्लब स्वीमिंग पूल और तरह तरह के खेल की सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं। यहां के मॉल्स भले अभी बन रहे हैं , लेकिन वैशाली और इंदिरापुरम जैसे इलाकों के पास स्थित होने के कारण शॉपिंग की कोई समस्या नहीं है। निवासी वहां के मॉल्स का मजा ले रहे हैं। इन इलाकों में देश के नामी-गिरामी बिल्डर्स डेवलप का काम कर रहे हैं। 
ग्रेटर फरीदाबाद-ग्रेटर फरीदाबाद एनसीआर के शहरों को तेज़ी से पछाडऩे के लिए तैयार है। नए कंस्ट्रक्शन, साथ-सुथरे रोड और व्यवस्थित पार्किंग व पार्कों की प्लानिंग को देखकर इनवेस्टरों ने इधर का रुख किया है। अ'छी बात यह है कि एनसीआर के अन्य शहरों के मुकाबले फरीदाबाद में पुरानी मल्टीस्टोरी बिल्डिंगों की संख्या कम है। दिल्ली-एनसीआर में विकास की लहर को फरीदाबाद ने तेजी दी है। यह शहर विकास की नई इबारत लिखने को तैयार है। नहरपार के नाम से जाने जाना वाला ग्रेटर फरीदाबाद इलाके के विकास की प्लानिंग ग्रेटर नोएडा से कम नहीं है। चौतरफा विकास का स्वागत कर रहा यह इलाका अब दिल्ली एनसीआर व अन्य इलाकों के लोगों का बांहें फैला कर स्वागत कर रहा है। फरीदाबाद में देरी से शुरू हुए विकास का सबसे बड़ा लाभ आज मिल रहा है। ग्रेटर फरीदाबाद में तेजी से डिवेलप हो रहे प्रोजेक्ट्स पूरी वैधता से और लाइसेंस लेकर बनाई जा रही हैं। छोटे-बड़े बिल्डरों के फ्लैट, डुप्लेक्स, कोठियां पूरी तरह से भूकंपरोधी तकनीक पर बनाई जा रही हैं। नए कंस्ट्रक्शन, साथ सुथरे रोड और व्यवस्थित पार्किंग व पार्कों की प्लानिंग को देखकर इनवेस्टरों ने इधर का रुख किया है। 
 ग्रेटर नोएडा-यह गाजियाबाद के करीब इंडिग्रेटेड टाउनशिप और बिल्डर प्लॉट्स आदि नोएडा और गाजि़याबाद से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर हैं। नये सेक्टरों के लिए जमीन नोएडा के सेक्टर-71 और 76 के निकट स्थित कई गांवो से एक्वायर की गई है। नॉलेज पार्क -5 और इकोटेक एक्सटेंशन को इंस्टीट्यूशनल और इंडस्ट्रीयल यूनिट्स के लिए विकसित किया जा रहा है। जीएनआईडीए की कोशिश इस सबसिटी को वल्र्ड क्लास टाउनशिप के रूप में विकसित करने की है। इसी के तहत यहां 75 एकड़ जमीन पर इंस्टीट्यूशनल हब और 50 एकड़ जमीन पर एजुकेशनल हब बनाने की दिशा में पहल हो चुका है। हाईप्रोफाइल गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी यहां शुरू हो चुकी है। यहां से होते हुए 1,48& किलोमीटर लंबे दिल्ली- मुंबई कॉरिडोर की भी प्लानिंग है। इससे इलाके में एक्सपोर्ट - इंपोर्ट जैसे कामों को भी काफी बढ़ावा मिलेगा। अथॉरिटी एनएच -24 और एनएच -91 के बीच स्थित ग्रेटर नोएडा फेज -2 को एक इंटीग्रेटेड टाउनशिप की तरह डिवेलप कर रही है। इसका मास्टर प्लान भी बनाया जा चुका है और इसके हिसाब से काम बढ़ रहा है। यहां जनसंख्या बढ़ोतरी के हिसाब से काम हो रहा है। यहां आने वाले समय में इंडस्ट्रीयल डिवेलपमेंट भी देखने को मिलेगा। यही वजह है कि सिटी एरिया को बढ़ाने का प्रस्ताव भी पास कर दिया गया है। 
नोएडा एक्सप्रेस-वे 
एक्सप्रेस - वे पर सेक्टर -1&7 और 14& तेजी से उभर रहे हैं। इन सेक्टरों में तेजी से हो रहे डिवेलपमेंट की वजह है यहां मल्टीनेशनल कंपनियों की स्थापना और इसके साथ कई महत्वपूर्ण रेजिडेंशल प्रोजेक्ट्स का लॉन्च होना। इन सेक्टरों का फ्यूचर ब्राइट बताया जा रहा है। इसकी वजह लोकेशन है। यहां से दिल्ली और नोएडा की कनेक्टिविटी अ'छी है। इनके इर्द - गिर्द स्कूल , कमर्शल हब और अस्पताल आदि का भी निर्माण हो रहा है।
एक्सप्रेस-वे 
नोएडा-ग्रेटर नोएडा को जोडऩे वाले एक्सप्रेस- वे के किनारे और इसके निकटवर्ती सेक्टर्स में प्राइवेट बिल्डर्स के कई प्रोजेक्ट्स देखने को मिलते हैं। इसके अलावा कई नए प्रोजेक्ट्स आने वाले हैं। इंडस्ट्रियल महत्व के दो शहरों के अलावा इस एक्सप्रेस-वे के जरिये अगले साल, उत्तर प्रदेश के धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से बेहद खास माने जाने वाले मथुरा और आगरा को भी जोड़ लिया जाएगा। ऐसे में इस मार्ग को निवेश की संभावनाओं के तौर पर देखा जा सकता है। यही नहीं साल 2005-06 में जब से इस एक्सप्रेस-वे का बड़ा हिस्सा तैयार हो गया था, उसके बाद से ही इसके जरिये जुडऩे वाले नोएडा के सेक्टर्स की डिमांड बढऩी भी शुरू हो गई थी। बीते दशक के मध्य से लेकर यह एक्सप्रेस-वे आज भी निवेश के लिहाज से हॉट लोकेशन में गिना जाता है। 
एक्सपर्ट की राय में एनसीआर को जोडऩे के लिए एफएनजी और केएमपी को भी एक्सपे्रस-वे के रूप-रंग में तैयार किया जा रहा है। केएमपी का काफी काम पूरा हो गया है। ऐसे में इस एक्सपे्रस-वे के निकटवर्ती क्षेत्रों में निवेश लाभ का सौदा बन सकता है। कुंडली, पलवल, धारुहेड़ा और बावल जैसे इलाकों को इस एक्सपे्रस- वे से लाभ मिलेगा। ऐसे में इन शहरों में निवेश के विकल्प भी तलाशे जा सकते हैं। 
बहादुरगढ़ 
मेट्रो के तीसरे फेज के निर्माण का कार्य आरंभ हो चुका है। नांगलोई से मुंडका होते हुए, इसी चरण के अंतर्गत मेट्रो ट्रेन की सुविधाओं को बहादुरगढ़ तक बहाल किया जाना है। मेट्रो के ट्रैक जहां भी बिछे हैं, वहां की संपत्तियों के दामों में तेजी देखने को मिली है। ऐसे में बहादुरगढ़ भी निवेश के लिए बेहतरीन विकल्प हो सकता है। संपत्ति मामलों के जानकार प्रदीप मिश्र के मुताबिक इस शहर में प्लॉट में निवेश करने के लिए 6 से 8 हजार रुपये मीटर का विकल्प रखना होगा। इसके अलावा शॉट टर्म इन्वेस्टर्स के लिहाज से भी बहादुरगढ़ एक परफेक्ट डेस्टिनेशन साबित हो सकता है। 
बागपत 
इस शहर को भी उत्तर प्रदेश के तेजी से उभरते शहरों के रूप में देखा जा रहा है। दिल्ली सहारनपुर राजमार्ग के जरिये जुडऩे वाले शहर में भी लांग टर्म इन्वेस्टमेंट की संभावनाएं तलाशी जा सकती है। इस शहर का निवेश फायदे का सौदा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि दिल्ली सहारनपुर राजमार्ग को आठ लेन तक चौड़ा करने की योजना पर जल्दी ही काम आरंभ कर दिया जाएगा। इसके अलावा कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिहाज से किंग्Óवे कैंप के निकट यमुना पर पुल बनाने की योजना भी है। यदि ऐसा हो जाता है तो उत्तरी दिल्लीसे इस तरफ पहुंचने में 10 से 15 मिनट का वक्त लगेगा। 
दिल्ली सहारनपुर राजमार्ग पर ट्रॉनिका सिटी से चंद किलोमीटर आगे चलते ही निजी क्षेत्र के बिल्डर्स की कई परियोजनाएं यहां देखने को मिलती हैं। टाटा हाउसिंग जमीन लेने के बाद जहां इस तरफ अफोर्डेबल हाउसिंग के प्रोजेक्ट लाने पर विचार कर रहा है तो वहीं महावीर हनुमान ग्रुप ने यहां प्लॉटेड डेवलपमेंट की है। इस प्रोजेक्ट में लोकेशन के मुताबिक 6 से 7 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर के रेट पर प्रॉपर्टी ली जा सकती है। 
 लेकिन निवेश से पहले उस क्षेत्र की संभावनाओं पर एक नजर जरूर डाल लें। साथ ही जिस प्रोजेक्ट में आप निवेश कर रहे हैं उसे कौन बना रहा है, इसकी परख भी जरूरी है? रियल्टी सेक्टर में भी ब्रांड वैल्यू का महत्व बेहद अधिक है। जहां भी निवेश करें, देखें कि उस संपत्ति के साथ किसी तरह का कोई विवाद न जुड़ा हो।

रविवार, 8 मार्च 2015

The Mitchell Corn Palace


 मकई या कॉर्न भी इमारत का इबारत लिख चुका है। वह भी प्रसिद्ध स्थानों पर। यह पढ़कर भले ही आप कुछ देर के लिए सोच में पड़ जाएं, लेकिन हकीकत यह है कि अमेरिका के The Mitchell  में इसके सहारे महल का निर्माण किया गया है। यह स्थान अमेरिका के दक्षिण डकोटा राज्य में स्थित है। The Mitchell  अमेरिका ही नहीं पूरे विश्व में प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। इस पर्यटन स्थल को The Mitchell Corn Palace चार चांद लगा रहा है। मिचेल में प्रत्येक साल 5 लाख से ज्यादा पर्यटक आते हैं। इस महल को नया रूप क्रोप आर्ट के सहारे दिया गया है। इसका भित्तिचित्र और डिज़ाइन को कॉर्न और अन्य अनाजों से सुन्दर रूप  में ढाला गया है। यह स्थान कई महत्वपूर्ण गेम्स का मेजबानी भी कर चुका है। खासकर, डकोटा वेसलीयेन यूनिवर्सिटी (Dakota Wesleyan University) और Mitchell High School Kernels के बीच बॉस्केट बॉल के मैच के समय इसकी लोकप्रियता का ग्राफ काफी ऊंचा हो चला था। मिचेल पेलैस का उद्धाटन वर्ष 1892 में किया गया था। इसका निर्माण उस समय लोगों को यहां पर बसने के लिए प्रोत्साहित करने का एक तरीका था। चूंकि दक्षिणी डकोटा में काफी उपजाऊ भूमि है और यहां पर अनाजों का उत्पादन काफी बेहतर होता है। इस महल को कॉर्न से बनाने के पीछे शायद यही कॉन्सेप्ट रहा होगा कि यह स्थान मानव बस्ती के लिए बेहतर है। हालांकि शुरुआती दौर में यह लकड़ीनुमा किला के रूप में था, जिसे वर्ष 1904-05 में बनाया गया। इस लकड़ीनुमा किले को कालान्तर में कॉर्न पैलेस के रूप में बदला गया। फिर वर्ष 1921 में इसे फिर से बनाया गया, जिसे शिकागो की प्रसिद्ध कंपनी रैप एंड रैप ने तैयार किया। इस महल में वर्ष 1937 में गुम्बद और मीनार के संरचना को जोड़े गए। कॉर्न पैलेस का शिखर 26.2 मीटर है। इसकी छत करीब 20.7 मीटर और फ्लोर्स की संख्या 2 है। महल में फ्लोर एरिया 4042.2 स्क्वेयर मीटर के क्षेत्र में विस्तृत है। प्रत्येक साल इसके रूप और रंग में कुछ न कुछ खास प्रकार के परिवर्तन किए जाते हैं। इस परिवर्र्तन में हर बार कुछ न कुछ खास थीम ज़रूर होता है। इस थीम को यहां के स्थानीय कलाकर तैयार करते हैं। वर्ष 1948 से लेकर 1971 तक इसके पैनल ( फलक) की संरचना को जीवंत स्वरूप ऑस्कर हो  (Oscar Howe) नामक कलाकार ने तैयार किया था। मिचेल कॉर्न पैलेस की दीवारों को अद्भुत रूप में  कैलविन शुल्ट्ज़ ने 1977 से लेकर 2002 तक तैयार किया था। वर्ष 2003 में इसकी दीवारों की सजावट को  शर्री रांस्डेल्स ने जीवंत रूप दिया। इस स्थान की लोकप्रियता का अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं कि अमेरिका के राष्टपति बाराक ओबामा यहां पर आ चुके हैं। प्रत्येक साल The Mitchell Corn Palace सजाने में करीब 1.5 लाख डॉलर का खर्च होता है।  

शनिवार, 7 मार्च 2015

निवेश का बेहतर विकल्प- सिप

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डिमांड में है बिज़नेस सेंटर


एक्सपर्ट की राय में आने वाले समय में मनोरंजन के साथ-साथ व्यवासायिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए एकमात्र जगह बिज़नेस सिटी सेंटर होगा। जहां मध्यम वर्गीय परिवार की घरों की ज़रूरत के लिए कई डेवलपर्स के प्रोजेक्ट होंगे, वहीं मनोरंजन और व्यवसायिक ज़रूरत के लिए बिज़नेस सिटी सेंटर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। इस बिज़नेस सेंटर के आस-पास रहने वाले लोगों की ज़रूरत को ध्यान में रखकर इसका निर्माण किया जाएगा। यहां पर निवेश करने वाले निवेशकों को इसका फायदा आने वाले समय में उठाएंगे। इस प्रकार का निर्माण  शॉपिंग हब और मनोरंजन स्थल के रूप में प्रसिद्ध होगा। ऐसे भी देखा जाय तो आज की भागदौड़ भरी जि़न्दगी में हर कोई चाहता है कि उसे एक ही छत के नीचे सारा सामान मिले। खरीदारी ऐसी जगह से हो जहां शापिंग का भरपूर आनन्द आए। जगह साफ-सुथरी और दुकान के बाहर शोकेसों में आकर्षित करने वाले बढिय़ा-बढिय़ा प्रोडक्ट डिस्पले हों। बिज़नेस सिटी सेंटर एक ऐसा दुनिया बनने जा रहा है, जहां पर उपभोक्ता को एक ही छत के नीचे सभी ज़रूरी चीज़ें आसानी से मिलेगी। कॉमर्शियल दुनिया को एक बेहतर स्वरूप में इसका अहम योगदान होगा। आने वाले समय में यह मनोरंजन, लाइफ स्टाइल और शॉपिंग करने का एक अपना ही अंदाज़ प्रस्तुत करेगा। बिज़नेस सिटी सेंटर आधुनिकतम एस्क्लेटर, ग्लास लिफ्ट, लाइटिंग, कलर कॉम्बिनेशन, पेड़-पौधों और पार्किंग आदि का इस तरह से संयोजन किया जाएगा कि इसकी खूबसूरती देखते ही बनेगी। बिज़नेस सिटी सेंटर रहने वालों के लिए वे सभी सुविधाएं प्रदान करेगा, जो उनकी ज़रूरत है। इस प्रकार के आधुनिक कॉमर्शियल कॉम्प्लैक्स यहां की ज़रूरत को ध्यान में रखकर ही बनाया जाएगा। इस स्थान की कनेक्टिविटी अन्य स्थानों से बेहतर होगा। मेट्रो रेल और हाई स्पीड ट्रेन इन स्थानों पर दस्तक देने वाली है, जो निश्चित रूप से यहां रहने वालों के लिए आवागमन में काफी मदद्ïगार साबित होगी। जो एक ग्राहक के शॉपिंग और मनोरंजन के समय आवश्यक होती है। यह एक छत के नीचे ग्राहक की सभी आवश्यकताओं को पूरा करेगा। जहां यहां एक तरफ ऑटोमैटिक लिफ्ट, चमचमाता एलीवेट होंगे, वहीं मनोरंजन के लिए मल्टीप्लेक्स होगा। खाने के शौकीनों के लिए एनसीआर में बेस्ट रेस्तरां होंगे वहीं शॉपिंग के लिए यहां पर विभिन्न नामचीन ब्रांड केस्टॉर होंगे। तमाम बेहतरीन ब्रांड इसमें लाने के लिए बात की जा रही है। बिज़नेस सेंटर यदि निवेशकों के लिहाज से देखा जाए तो यह कॉमर्शियल स्पेस खरीदने वालों के लिए सबसे बेहतरीन स्थान है। इसका कारण इसकी शानदार लोकेशन का होना है। जिन स्थानों पर रेजीडेंशियल हब होंगे, वहीं इन फ्लैटों में रहने वालों के लिए यह स्थान शॉपिंग और मनोरजंन हब बनेगा। जो सभी की ज़रूरतों को पूरा करेगा। 

रिसर्च रिपोर्ट


सरवाइवल और रिवाइवल इंडियन रियल्टी सेक्टर नामक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 43 मिलियन स्क्वेयर फीट रिटेल स्पेस  की मांग है। कॉमर्शियल ऑफिस मार्केट के बारे में रिपोर्ट का अनुमान है कि आने वाले कुछ समय में यह मार्केट भी बेहतर स्थिति में होगा और डिमांड और सप्लाई के स्तर पर मार्केट संतुलित रूख अपनाएगा। रपट में बताया गया है कि आने वाले पांच सालों में बैंगलूरू में जहां 34 मिलियन स्क्वेयर फीट ऑफिस स्पेस की ज़रूरत हो सकती है, वहीं चैन्नई में करीब 27 मिलियय स्क्वेयर फीट ऑफिस स्पेस की आवश्यकता महसूस की जा सकती है। इस विकास की रफ्तार को आगे बढ़ाने में बेहतर इकॉनमी ग्रोथ, सकारात्मक मार्केट रूख और आत्मविश्वास से भरा कॉरपोरेट सेक्टर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।  रिटेल सेक्टर को लेकर बताया गया है कि इन सात प्रमुख शहरों में करीब 43 मिलियन स्क्वेयर फीट स्पेस की ज़रूरत होगी। अनुमान लगाया गया है कि अकेले बैंगलूरू में रिटेल स्पेस के लिये करीब सबसे ज्यादा 6.8 मिलियन स्क्वेयर फीट रिटेल स्पेस की आवश्यकता होगी। पुणे के बारे में बताया गया है कि आने वाले पांच सालों में सबसे ज्यादा वार्षिक वृद्धि के साथ जो करीब 51 प्रतिशत की दर से रिटेल स्पेस की मांग बनी रहेगी। इन स्थानों पर जो स्पेस की मांग बढ़ेगी, इसमें यमुना एक्सप्रेस-वे, इकॉनमी ग्रोथ के कारण बिज़नेस का ग्लोबल स्वरूप और सरकार की बेहतर आर्थिक नीति प्रमुख भूमिका निभा सकता है। शहरीकरण का बढ़ता दायरा, बढ़ती आमदनी ये दोनों कारक रिटेल और बिज़नेस सेंटर साकारात्मक प्रभाव डालेगा। जिसके कारण इन क्षेत्रों में स्पेस की मांग निश्चियत ही बढऩे का अनुमान है। एनसीआर के बारे में अनुमान लगाया गया है कि रिटेल सेक्टर में मांग काफी ऊंची रहेगी, क्योंकि यहां का वाणिज्यिक दृष्टिïकोण के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक दृष्टिïकोण का भी बहुत महत्व रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन क्षेत्रों में इस साल तक रिटेल स्पेस की मांग 66.6 मिलियन स्क्वेयर फीट और रिटेल के 10.20 लाख हाउसिंग यूनिट्स की ज़रूरत होगी। इस सेक्टर को बूम तक ले जाने में कई कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। पहली बात मुंबई को देश की औद्योगिक राजधानी होने का फायदा होगा और दूसरी बात यह है कि औद्योगिक राजधानी होने के कारण यहां ग्लोबल होती दुनिया से बिज़नेस के लिये हमेशा लोग आते-जाते रहेंगे। यहां पर रिटेल स्पेस की मांग करीब 6.19 मिलियन स्क्वेयर फीट स्पेस की हो सकती है। पुणे के बारे में बताया गया है कि यहां पर रिटेल स्पेस  वार्षिक ग्रोथ रेट 51 प्रतिशत स्तर की दर से करीब 1.76 मिलियन स्क्वेयर फीट स्पेस की मांग होगी। यहां की बढ़ती आबादी इन सब मामलों में महत्चपूर्ण भूमिका निभा सकता है। बैंगलूरू के बारे में बताया गया है कि इस साल तक करीब 7 मिलियन स्क्वेयर फीट रिटेल सेक्टर के लिये ज़रूरत होगी। बैंगलूरू  में इन सेक्टरों में मांग की वृद्धि दर करीब 14 प्रतिशत के आस-पास होगी। बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, बेहतर निर्माण और प्रतिस्पर्धा से भरे मार्केट ऐसे मुख्य कारक होंगे, जिसके कारण यहां के कॉरपोरेट सेक्टर को फायदा होने के साथ-साथ ऑफिस स्पेस की मांग बनी रहेगी। अब हम दक्षिण भारत के प्रमुख शहर हैदराबाद की बात करें तो इस रपट में स्पष्टï कहा गया है कि जहां ऑफिस स्पेस की मांग करीब 16.6 मिलियन स्क्वेयर फीट रहेगी, वहीं करीब बैंगलूरू की तरह ही करीब 3 लाख हाउसिंग यूनिट्स की ज़रूरत होगी। रपट बताती है कि यहां पर वार्षिक ग्रोथ रेट करीब 14 प्रतिशत होने का अनुमान है। रपट में पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के बारे में बताया गया है कि यहां पर करीब 9 मिलियन स्क्वेयर फीट ऑफिस स्पेस की जहां आवश्यकता है, वहीं रिटेल के लिये करीब 4.5 मिलियन स्क्वेयर फीट स्पेस की आवश्यकता होगी। यह रिपोर्ट रियल एस्टेट के लिए काफी सकारात्मक रूप दर्शा सकता है। रियल्टी 2014 को इंवेस्टमेंट के परिप्रेक्ष्य से अगर देखा जाए तो मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, बैंगलुरू , कोलकाता, हैदराबाद, अहमदाबाद, पूणे, गुडगांव, चंडीगढ, तथा जयपुर भारत के ऐसे शहर हैं, जो कमर्शियल प्रोपर्टी में इंवेस्ट करने के लिए हॉट स्पॉट के रूप में पहले से बेहतर ढंग से उभर सकता है। बहुत सारे माने हुए डेवलपर्स जैसे डीएलएफ, हिरानंदानी, रहेजा, वाटिका, पल्र्स तथा बेस्ट ग्रुप काफी बडी राशि रियल एस्टेट के विकास में लगा रहे हैं। भारत अपनी विरासत से अपने बेहतर भविष्य का निर्माण करने की क्षमता रखता है। इस वक्त भारत की जनसंख्या बढ तो रही है लेकिन इसका एक पक्ष यह भी है कि इसकी 54 प्रतिशत जनसंख्या की उम्र 25 साल से कम है। इन युवाओं में कठोर मेहनत कर बाजार से 'यादा से 'यादा सुविधाएं अर्जित करने तथा 'यादा मांग को बढावा देने की ताकत है। यह भारत के विकास की दौड के लिए लंबी रेस के घोड़े साबित होंगे। आईटी तथा बीपीओ सेक्टर सिर्फ ऑफिस स्पेस को सजाने-संवारने तथा बेहतरीन जॉब अपॉर्चुनिटिज देने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि नौकरी की तलाश में दूसरे शहरों या गांवों से पलायन करने वालें के लिए यह रेजिडेंशियल प्रॉपर्टीज में भी संभावनाओं को बढ़ा रहे हैं और फिर बढती आमदनी तथा रिटेल और मॉल कल्चर के फैलते चलन ने भी रियल एस्टेट के क्षेत्र को विस्तार दिया है। 

शुक्रवार, 6 मार्च 2015

बिज़नेस सेंटर

ग्लोबल होती दुनिया के लिए बिज़नेस का स्कोप बढ़ता जा रहा है। हर जगह  यह स्कोप रफ्तार में है। गांव लेकर शहर, शहर से लेकर महानगर में बिज़नेस आमदनी का मुख्य जरिया बन गया है। खासकर, युवा इसके माध्यम से दुनिया में अपना परचम लहराना चाहते हैं। ऐसा इसलिए संभव है कि इसके माध्यम से आप मेहनत और बुद्धिमानी से वह सब ई'छा पूरी कर सकते हैं, जिसकी चाहत आप रखते हैं। स्थिति ऐसी हो तो आप मानकर चलिए कि इस प्रकार की चाहत और बिज़नेस स्कोप को बढ़ाने के लिए बिज़नेस सेंटर का कॉन्सेप्ट रियल एस्टेट मार्केट को एक नई ऊंचाई प्रदान कर सकता है। देश के प्रसिद्ध स्थानों में बिज़नेस सेंटर के निर्माण को लेकर सभी प्रसिद्ध डेवलपर्स नए-नए कॉन्सेप्ट और प्लानिंग लेकर आ रहे हैं।  देश के विकास में स्मॉल इंडस्ट्रीज महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, इस बात को अब बड़े डेवलपर्स भी मान रहे हैं। आने वाले समय में अर्थव्यवस्था और कारोबार को नई दिशा देने में स्मॉल इंडस्ट्रीज की बड़ी भूमिका होगी। कारोबार बढऩे के साथ छोटे उद्यमियों को व्यापारिक योजनाएं बनाने और भविष्य के विकास का ताना बाना बुनने के लिए बिजनेस सेंटरों की ज़रूरत होगी। इस बात को ध्यान में रखते हुए अब बड़े खिलाड़ी छोटों के लिए बिज़नेस सेंटर खोलने में जुट गए हैं, जिसका अ'छा परिणाम भी मिल रहा है।
 ज़रूरत 
कुछ सालों में इस इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट करीब 30 प्रतिशत के दर से हो रहा है। रियल एस्टेट सेक्टर में 80 प्रतिशत करीब रेजीडेंशियल और बाकि में कॉमर्शियल स्पेस जैसे ऑफिस, शॉपिंग मॉल्स, होटल्स और हॉस्पिटल के निर्माण का डेवलपमेंट हो रहा  है। इस क्षेत्र में जो अतुलनीय रूप से ग्रोथ देखा जा रहा है, इसमें भारतीय इकॉनमी के विकास का महत्वपूर्ण योगदान है। देश के प्रसिद्ध स्थान पर कॉमशर््िायल प्रोजेक्ट की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसे में भारतीय शहरों में  रिडेवलपमेंट की दिशा में डेवलपर्स के लिए सम्भावनाओं की कोई कमी नहीं है। जहां भारत में हो रहा शहरीकरण दुनिया भर के निवेशकों को मुनाफा कमाने का सुनहरा अवसर प्रतीत हो रहा है, वहीं इसकी वजह से बढ़ रही ज़रूरतों को पूरा करना भी एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है। वर्तमान में बाजार चौकस है और इसकी ऐसी भावनाएं इस मामले में बिज़नेस सेंटर में भी कम स्कोप नहीं दिख रहा है, क्योंकि जिस प्रकार से बिज़नेस सेक्टर के कुछ आयाम जैसे आईटी सेक्टर ग्रोथ कर रहा है और बाहरी लोग हायर किए जा रहे हैं, इससे आने वाले समय में बिज़नेस सेंटर कल्चर कुलांचे भर सकता है। खासकर, महानगरों में यह ट्रेंड जोर पकड़ चुका है, अब तो महानगरों से सटे इलाके में भी यह कॉन्सेप्ट खूब फलने-फूलने लगा है। इसके बाद सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जैसे-जैसे रोजगार के नए अवसर और नए ठिकाने बनते रहेंगे, उसी तरह से यह कॉन्सेप्ट भी उन्नति करता रहेगा। भले ही कॉमर्शियल निर्माण के बारे में यह कहा जा रहा हो कि इसके निर्माण की लागत भी कई स्थानों डेवलपर्स की नहीं निकल पा रही हो, लेकिन इस सेगमेंट में उत्तरोतर वृद्धि होने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है। अब कॉमर्शियल सेक्टर की दुनिया भी काफी बदल रही है। इसके निर्माण में 2 इन 1 का कॉन्सेप्ट आ चुका है। यानि की बिज़नेस सेंटर कम होम। यह कॉन्सेप्ट काफी जोर पकड़ चुका है और आने वाले समय में इसका जलवा कायम होने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है। जिस प्रकार से सरकार ने एफडीआई को मंजूरी से रियल्टी सेक्टर को लाभ मिलेगा। इसके बारे में  पिछले कुछ वर्षों पर नज़र डालें तो खास तौर से आर्थिक मंदी के बाद कॉमर्शियल स्पेस की डिमांड बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई है। रिटेल स्पेस का हाल तो और भी बुरा है। ऐसे में रिटेल क्षेत्र में एफडीआइ को मंजूरी मिलने से यह तो तय है कि कॉमर्शियल व रिटेल स्पेस की डिमांड को बढ़ावा मिलेगा। विदेशी कंपनियों के आने से रिटेल स्पेस की डिमांड में तेज़ी आना तो तय कहा जा सकता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि देश में करीब 12 बिलियन डॉलर का रियल एस्टेट इंडस्ट्री है। अध्ययनों के अनुसार कुछ सालों में इस इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट करीब 30 प्रतिशत के दर से हो रहा है। यहां पर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस प्रकार से सरकार ने 100 स्मार्ट सिटीज के कॉन्सेप्ट को लेकर गंभीर है, इससे साबित होता है कि आने वाले समय में इस प्रकार के विकसित स्मार्ट सिटीज में बिज़नेस सेंटर की मांग जोर पर होगी। इसके पीछे कारण यह है कि बिज़नेस सेंटर वर्तमान और भविष्य दोनों की ज़रूरत बनने जा रहा है।